हाल ही में 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों 67th National Film Award की घोषणा की गई है, जिसमें हिंदी फिल्म ‘भोंसले’ के लिए मनोज बाजपेयी और तमिल फिल्म असुरन के लिए धनुष को संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता घोषित किया गया है। ऐसे में मनोज बाजपेयी की फिल्म भोंसले इस वक्त सुर्खियों में आ चुकी है.. हर तरफ इस फिल्म के चर्चे हो रहे हैं। इसलिए आपको हमने सोचा कि आपको भी ये जानना चाहिए कि आखिर मनोज बाजपेयी की फिल्म भोसले में ऐसा क्या खास है, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवार्ड मिला है और आप इसे कहां देख सकते हैं?
भोसले के निर्माता भी हैं मनोज बाजपेयी
सबसे पहले तो आपको बता दें कि इस फिल्म में न सिर्फ मनोज बाजपेयी ने काम किया है, बल्कि इसे को-प्रोड्यूस भी किया है। साल 2018 में बनी इस फिल्म का लुक उसी साल कान्स फिल्म फेस्टिवल में लॉन्च किया गया था। इसके बाद साल 2018 में ही फिल्म भोसले को बुसान फिल्म फेस्टिवल में, MAMI फिल्म फेस्टिवल और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल रॉटरडैम जैसे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में प्रदर्शित किया गया । वहीं 26 जून 2020 को ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर ये रिलीज की गई थी, जिसके साथ ही भारत समेत पूरे वर्ल्ड में इसका प्रीमियर हुआ।
फिल्म भोसले को मिले चुके हैं ये अवार्ड
दरअसल, नेशनल अवार्ड से पहले भी फिल्म भोसले कई खिताब अपने नाम कर चुकी है। साल 2019 के एशिया पैसिफिक स्क्रीन अवार्ड में इस फिल्म के लिए मनोज बाजपेयी को बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिल चुका है, तो वहीं एशियन फिल्म फेस्टिवल बार्सिलोना में इसने बेस्ट स्क्रीनप्ले और बेस्ट डायरेक्टर दोनो पुरस्कार अपने नाम किए हैं। इसके अलावा फिल्मफेयर ओटीटी अवार्ड में फिल्म भोसले बेस्ट फिल्म और बेस्ट एक्टर की कैटगरी के लिए नामांकित हो चुकी है।
कैसी है फिल्म भोसले की कहानी
बात करें फिल्म भोसले की कहानी की तो ये गणपत भोसले की कहानी है, जो मुंबई का एक रिटायर्ड पुलिसवाला है। गणपत बेहद पुराने और खस्ताहाल से चॉल में रहता है और कभी-कभी अपने सीनियर को इस जुगाड़ में चाय बनाकर पिलाता रहता है कि शायद उसकी सेवा का विस्तार कर दिया जाए। वहीं वो खुद एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या से भी जूझ रहा होता है।
इसी बीच मुंबई से बाहर शहरों से आए लोगों को निकालने में वहां के लोकल राजनेता लगे होते हैं, जिसका एक मोहरा विलास है। चूंकि पुलिस वाले के रूप में गणपत की एरिया में एक साख है, इसलिए विलास उसे अपनी राजनीतिक संगठन से जोड़ना चाहता है। पर गणपत इन सब बातों और क्षेत्रीय राजनीति से दूर ही रहता है।
मराठी बनाम उत्तर भारतीय राजनीति को दर्शाती है फिल्म
एक रोज गणपत के बगल वाली खोली में बिहार से सीता और लालू नाम के भाई-बहन रहने के लिए आते हैं। इधर उत्तर भारत से आए लोग भी अपनी सुरक्षा के लिए संगठिक हो रहे होते हैं। ऐसे में लालू को उत्तर भारत के इस संगठन से जोड़ने की कोशिश की जाती है, पर लालू डर के मारे इंकार कर देता है, जिसके बाद उसे एक सड्यंत्र में फंसा दिया जाता है।
लालू की बहन सीता, गणपत को इस मामले की जानकारी देती है। ऐसे में क्या गणपत, सीता और लालू को मराठी बनाम उत्तर भारतीय राजनीति से बचा पाएगा या नहीं, यही भोसले की कहानी का असली सार है, जो आपको फिल्म देखने के बाद पता चल जाएगा। आप फिल्म भोसले को ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर देख सकते हैं।
बता दें कि फिल्म भोसले में मनोज बाजपेयी के साथ ही अभिषेक बनर्जी, संतोष जवेकर, इप्षिता चक्रवर्ती सिंह जैसे कलाकारों ने काम किया है। वैसे मनोज बाजपेयी की इस दमदार अभिनय के लिए तो ये फिल्म देखनी बनती है, जिसके लिए वो तीसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।