हर कहानी के बहुत पहलू होते हैं, फर्क बस इतना होता है कि सुना कौन रहा है… ये डायलॉग है नेटफ्लिक्स पर 2 जुलाई को रिलीज हुई फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ का। फिल्म इस डायलॉग की तरह ही प्यार, लस्ट और धोखे जैसे कई पहलुओं को समेटे हुए है। तापसी पन्नू स्टारर इस फिल्म के चर्चें बीते कई दिनों से हैं, इसलिए हमने भी ये फिल्म देखी और आपके लिए लेकर आए हैं इसका रिव्यू (Haseen dillruba review)
खून से रंगे इश्क की रंगीन कहानी है ‘हसीन दिलरुबा’
सबसे पहले बात कहानी कर लेते हैं तो देखा जाए तो फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ पति, पत्नी और वो की कहानी में मर्डर मिस्ट्री का तड़का लिए हुए है। जिसमें तापसी पन्नू, विक्रांत मैसी और हर्षवर्धन राणे के बीच लव ट्रांयगल दिखाया गया है। कहानी की शुरूआत में रानी (तापसी पन्नू) के घर में एक धमाके के साथ होती है, जिसमें रानी के पति रिशु (विक्रांत मैसी) की मौत दिखाई जाती है। इसके बाद रानी पर उसके पति रिशु के कत्ल का इल्जाम लगता है, पुलिस पूछताछ शुरू करती है, रानी के बयान के साथ ही कहानी फ्लैश में जाती है।
घटना से 6 महीने पहले ही रिशु की मुलाकात रानी से होती है और फिर शादी। रानी दिल्ली की मॉडर्न लड़की है, जो घरवालों के कहने पर रिशु से शादी तो कर लेती है पर उसे सरकारी इंजीनियर पति रिशु में कोई भी वो बात नहीं दिखती है जो उसे पार्टनर में चाहिए होती। शादी की शुरूआती दिनों में ही दोनों में दूरियां बढ़ जाती हैं, हालांकि रानी अपनी तरफ से कोशिश कर ही रही होती है कि उसकी लाइफ में नील (हर्षवर्धन राणे) की एंट्री हो जाती है जोकि रिशु का कजिन है।
रानी नील के प्यार में पड़ जाती है और उसके साथ घर बसाना चाहती है पर नील उसे छोड़ कर भाग जाता है। उधर बात रिशु को पता चलती है तो पहले वो नील से मार पीट करता है फिर रानी को जान से मारने की अधूरी कोशिशें। पर कहानी की असली मिस्ट्री जस की तस बनी रहती है कि क्या रानी ने सच में अपने पति का कत्ल किया है, जिसका खुलासा दर्शकों के सामने फिल्म के आखिर में ही होता है। फिलहाल हम यहां इसका खुलासा नहीं करेंगे, हमारा उद्देश्य आपको फिल्म का रिव्यू (Haseen dillruba review) देने की है तो फिल्म के बाकी पहलुओं पर बात कर लेते हैं।
दिलचस्प कहानी और बेहतरीन अदाकारी का कमतर ट्रीटमेंट
देखा जाए तो ‘हसीन दिलरुबा’ का प्लॉट तो बहुत दिलचस्प रखा गया है.. कनिका ढिल्लों की लिखी इस कहानी में रोमांस और रोमांच दोनो का जबरदस्त तड़का लगाने की कोशिश की गई है। खासकर रानी के फेवरेट उपन्यास लेखक दिनेश पंडित के जरिए कहानी में रोचकता बनाने की कोशिश हर पल दिखती है। पर कहानी को गढ़ने में लेखक के साथ ही फिल्म के निर्देशक विनिल मैथ्यू से भी चूक हुई सी लगती है। क्योंकि अगर कोई आम दर्शक थोड़ा सा दिमाग लगा लें तो वो आसानी से खुद ही इस मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व कर सकता है।
कलाकारों के अभिनय की बात करें तो तापसी इस दशक की बेस्ट फीमेल लीड में से एक हैं, जो अपने दम पर दर्शकों को आकर्षित करने का माद्दा रखती हैं। इस फिल्म में अभिनय के साथ ही उन्हें अदाएं दिखाने का भी पूरा मौका मिला है जिसे रानी के किरदार में तापसी ने बाखूबी निभाया है। चाहें वो दिल्ली की बिंदास युवती हो या पश्चाताप में पति का हर सितम सह लेने वाली पत्नी, ये तापसी का अभिनय ही कि रानी का हर रूप भाता है।
वहीं अपनी-अपनी भूमिका में विक्रांत मैसी और हर्षवर्धन राणे भी जंचें हैं। देखा जाए तो ये कलाकारों का अभिनय ही है, जो फिल्म के सस्पेंस से कहीं अधिक आपको बांधे रखता है।
क्यों देखनी चाहिए
अब बात करें कि फिल्म क्योंकि देखनी चाहिए तो मर्डर मिस्ट्री का रोमांच लिए ये फिल्म ठीक ठाक टाइम पास है। फिल्म की शुरूआत में अरेंज मैरिज में पति-पत्नी में सामंजस्य बिठाने में आने वाली समस्याओं को मजाकिया रूप में दिखाने की कोशिश की गई है, जिससे सहज हास्य भी पैदा होता है। तो वहीं सच्चे प्यार की तलाश के जरिए ये कहानी आपको इमोशनल भी करती है।
क्या हैं ख़ामियां
अब फिल्म रिव्यू (Haseen dillruba review) की बात है तो ख़ामियों का जिक्र करना जरूरी है। तो बता दें कि फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ की सबसे बड़ी ख़ामी यही है कि फिल्म देखते हुए आप कई बार आप इसके रहस्य के करीब खुद ब खुद पहुंच जाते हैं। ये उस झीने हुए पर्दे की तरह है, जो लगाया तो ढंकने के लिए गया था, पर वो खुद ही सब उजागर किए हुए है।
खैर बाकि आपकी मर्जी है कि फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू (Haseen dillruba review) पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।