भारतीय सिनेमा अब उस दौर में पहुंच चुकी हैं जहां स्टारकास्ट से कहीं अधिक फिल्म के कंटेंट और उसके ट्रीटमेंट को वैल्यू मिल रहा है। ऐसे में अगर किसी फिल्म में कंटेंट, उसका ट्रीटमेंट और स्टारकास्ट तीनो ही प्रभावी हो तो निश्चित तौर पर रिजल्ट बेहतर ही आएगा। नेटफ्लिक्स पर हालिया रिलीज हिंदी फिल्म ‘मोनिका ओ माय डार्लिंग’ इसका सटीक नमूना है। मालूम हो कि राजकुमार राव, हुमा कुरैशी और राधिका आप्टे स्टारर ये फिल्म इस वीकेंड 11 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म Netflix पर रिलीज हुई है। इस फिल्म को लेकर बीते काफी दिनों से बज बना हुआ है, इसलिए हम अपने पाठकों के लिए लाए हैं इसका रिव्यू (Monica O My Darling Review)।
Monica O My Darling Review in Hindi
तो चलिए फिल्म रिव्यू की शुरूआत कहानी यानि की कंटेंट से कर लेते हैं। तो ये बता दें इसकी कहानी एक रोबोटिक कंपनी के अम्पायर के ईद-गिर्द रची गई है। कहानी की शुरूआत में एक कंपनी में काम करने वाला शख्स एक रोबोट मशीन के जरिए दूसरे कर्मचारी की हत्या कर देता है। इस तरह से फिल्म शुरूआत एक मर्डर से होती है पर यहां मिस्ट्री क्रिएट नहीं की गई है जैसा कि ये कातिल शुरूआत में दर्शकों को दिख जाता है। असल मर्डर मिस्ट्री तो मोनिका यानी कि टाइटल कैरेक्टर के कत्ल की साजिश से शुरू होती है।
कत्ल की साजिश से शुरू हुई कहानी में खुलते हैं कई परत
दरअसल, मोनिका (हुमा कुरैशी) इस ऑफिस में काम करने वाली वो महिला है जो अकाउंटेंट से लेकर कंपनी के मालिक के बेटे तक को अपने प्यार के जाल में फंसा कर पैसे वसूल रही है। उसका ताजा शिकार बना है कि कंपनी का सबसे होनहार कर्मचारी जयंत (राजकुमार राव), जिसने छोटे से कस्बे से निकल कर अपनी मेहनत के दम पर आईआईटी में एडमिशन और फिर एक बड़ी कंपनी में शेयर होल्डर बनने का मुकाम हासिल किया है। जयंत की काबिलियत पर कपंनी के मालिक और उसकी बेटी निक्की दोनो फिदा हैं, जल्दी ही जयंत और निक्की की शादी भी होने वाली है।
लेकिन वहीं अब जयंत मोनिका के जाल में फंस चुका है, जो उसे अपने होने वाले बच्चे का झांसा देकर ब्लैकमेल करना शुरू करती है। वहीं इससे पहले कि जयंत को इससे बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता सूझता, कपंनी के मालिक का बेटा निशिकांत अधिकारी (सिकंदर खेर) मोनिका का मार कर रास्ते से हटाने का प्लान सूझाता है जोकि खुद भी मोनिका के जाल में फंसा हुआ है। मिडिल क्लास लाइफ की तंगी से निकलर कंपनी के खास मुकाम पर पहुंचा जयंत सबकुछ खोने के डर से मोनिका के मर्डर के प्लान में शामिल हो जाता है। उसे मिलती है मोनिका के लाश को ठिकाने लगाने के जिम्मेदारी और वो उसे भी कर गुजरता है।
पर सब कुछ प्लानिंग के हिसाब से करने के बाद जब वो अगली रोज ऑफिस मीटिंग में पहुंचता है तो वहां उसके सामने जिंदा वापस आ जाती है मोनिका। अब यहां से कहानी में शुरू होता है असली रोमांच जो सिलसिलेवार ढंग से होने वाले कत्ल के सस्पेंस के साथ और भी गहराता जाता है। वहीं फिल्म में कॉमेडी का पुट लेकर आती हैं एसीपी नायडू की भूमिका में राधिक आप्टे।
इस मर्डर मिस्ट्री की जांच करने वाली एसीपी नायडू अपनी प्रजेंस के साथ ही कहानी में ह्यूमर डालती है। वहीं दूसरी तरफ कहानी में परत दर परत राज से खुलते हैं, जिसका एक सिरा शुरूआत में हुए कत्ल से भी जुड़ता है। वहीं आखिर में मर्डर मिस्ट्री के इस केस को जिस तरह से एसीपी नायडू क्लोज करती है वो तो दर्शकों को चौंका जाता है।
‘अंधाधुन’ के टीम की एक और बेहतरीन पेशकश है ये फिल्म
कुल मिलाकर कहानी रोमांच से भरपूर है, जिसे फिल्म के मेकर्स ने भी रोचक ढंग से पेश करने में कोई कसर नहीं छोडी है। जी हां, जैसा कि हमने सबसे पहले बात की फिल्म के ट्रीटमेंट की तो बता दें कि फिल्म Monica O My Darling, साल 2018 में आई सुपरहिट सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ‘अंधाधुन’ के टीम की पेशकश है। दरअसल, इस वासन बाला के निर्देशन में बनी इस फिल्म का निमार्ण अंधाधुन’ के मेकर्स ने किया है, वहीं इसकी पटकथा लिखी है योगेश चंदेकर ने, जिन्होनें श्रीराम राघवन के साथ मिलकर फिल्म ‘अंधाधुन’ की पटकथा लिखी थी। देखा जाए तो इस बार भी ये टीम सस्पेंस थ्रिलर फिल्म के रूप में दर्शकों का मनोरंजन करने में पूरी तरह से कामयाब रही है।
अब बात करते हैं स्टारकास्ट की तो इसमें कोई दो राय नहीं है ये राजकुमार की फिल्म के तौर पर जानी जानी चाहिए। क्योंकि इस फिल्म में राजकुमार राव (Rajkummar rao) शुरू से लेकर अंत तक जंयत की भूमिका में दर्शकों की संवेदना बटोरने में कामयाब रहते हैं। वहीं मोनिका की टाइटल भूमिका में हुमा कुरैशी (Huma qureshi) भी जंची हैं, जबकि राधिका आप्टे (Radhika apte) ने तो एसीपी नायडू के कैरेक्टर को अपने अभिनय से रोचक बना डाला है। इनके अलावा सिकंदर खेर, आकांक्षा रंजन कपूर, सुकांत गोयल, भगवती पेरुमल और जैन मैरी खान जैसे कलाकार भी अपनी-अपनी भूमिका में जंचें हैं।
क्यों देखी जानी चाहिए
अब बात करें कि ये फिल्म क्यों देखी जानी चाहिए तो बता दें कि ये सस्पेंस और रोमांच से भरपूर ये विशुद्ध रूप से एक मनोरंजक फिल्म है। जिसमें लॉजिक का ख्याल छोड़ दिया जाए तो ये आपको शुरू से लेकर अंत तक आपको बांधे रखती है। कम से कम ये आजकल की उन सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों जैसे नहीं है जिनका सस्पेंस खुलने का बाद आखिर में मजा किरकिरा हो जाता है।
क्या हैं ख़ामियां
बात फिल्म रिव्यू की (Monica O My Darling Review) है तो फिल्म की ख़ामियों का जिक्र करना भी जरूरी है तो बता दें कि जैसा कि हमने अभी-अभी बताया कि अगर आप लॉजिक के चक्कर में पड़ेंगे तो शायद आप फिल्म देखने के बाद उलझ जाएंगे कि कि ऐसा हुआ तो कैसे हुआ और ये तो हो ही नहीं सकता है। इसलिए बेहतर यही होगी कि बिना लॉजिक के चक्कर में पड़े आप इसका आनंद उठाएं।