‘जिंदगी वो नहीं जो हम सोचते हैं, बल्कि जिंदगी वो होती है जो हमारे साथ घटती है’ ये लाइने हैं कृति सेनन और पकंज त्रिपाठी की फिल्म ‘मिमी’ की जो इस डायलॉग की तरह ही उम्मीदे से परे अपने तय समय से पहले ही रिलीज हो चुकी है। जी हां बता दें कि फिल्म ‘मिमी’ 30 जुलाई को नेटफ्लिक्स और जियो सिनेमा पर रिलीज होने वाली थी, पर इससे पहले 26 जुलाई शाम को मेकर्स ने रिलीज कर दिया है। ऐसे में फिल्म ‘मिमी’ को लेकर फैंस के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और ऐसी ही सवालों के जवाब के रूप में हम लाए फिल्म ‘मिमी’ का रिव्यू (Mimi Review)…
हास्य और इमोशन के तड़के भरपूर है मिमी की कहानी
बात करें फिल्म मिमी की कहानी की तो ये राजस्थान के छोटे शहर की पृष्ठभूमि में रची गई है, जहां मिमी नाम की लड़की (कृति सेनन) जो पेशे से डांसर है मुंबई जाकर हीरोइन बनने के सपने पाले हुए है। मिमी के इस सपने को पंख तब लग जाते हैं जब एक दिन एक टैक्सी ड्राइवर भानुप्रताप पांडे (पंकज त्रिपाठी) उसे बताता है कि जयपुर घूमने आया एक विदेशी कपल उसे अपने बच्चे के लिए सेरोगेट मदर बनाना चाहता है। ऐसे में शुरूआत में इनकार करने के बाद 20 लाख के बदले मिमी सेरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती है।
इसके बाद मिमी की लाइफ में असली घमासान हंगामा तब शुरू होता है, जब उसे रहने के लिए घर से लेकर पैरेंट्स की रजामंदी के चक्कर में कहानी में सिचुएशनल कॉमेडी पैदा होती है। हालांकि आगे चलकर इस कहानी में बड़ा ट्विस्ट तब आता है, जब विदेशी कपल बच्चे को अपनाने से इंकार कर देता है। ऐसे में परिवार वालों के दबाव में मिमी, भानुप्रताप पांडे (पंकज त्रिपाठी) को अपना बच्चे का पति बतला देती है। अब मिमी की जिंदगी में आया ये भूचाल कब और कैसे शांत होगा, इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी। हम यहां फिल्म रिव्यू (Mimi Review) की बात कर रहे हैं तो निर्देशन और अभिनय जैसे बाकी पक्षों पर बात कर लेते हैं।
मनोरंजन की फुल डिलीवरी करने में कामयाब रहे लेखक-निर्देशक
जियो स्टूडियोज और दिनेश विजन के प्रोडक्शन के तले बनी इस फिल्म का निर्देशन लक्ष्मण उतेकर ने किया है और रोहन शंकर के साथ मिलकर इसका लेखन भी किया है। देखा जाए तो लक्ष्मण ने अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम दिया है। फिल्म सेरोगेसी के चलते उपजी समस्या बात करती है, पर फिल्म इस गंभीर मुद्दे को हास्य के साथ हल्क-फुल्के तरीके से पेश करती है। कहानी में हास्य और इमोशन दोनो का तड़का है, ऐसे में फिल्म कहीं भी आपको बोर नहीं करती है। लक्ष्मण उतेकर ने राजस्थान के छोटे शहर की बोली, वेशभूषा और बेहतर तरीके से पेश किया है।
पंकज त्रिपाठी और कृति सेनन की जुगलबंदी ने जीता दिल
मिमी के किरदार को कृति सेनन ने काफी संजीदगी से निभाया है चाहें वो युवा बिंदास लड़की हो या मां बनने के बाद की भूमिका। वहीं टैक्सी ड्राइवर के किरदार में पंकज त्रिपाठी अपने शानदार कॉमिक टाइमिंग के साथ खूब जंचे हैं। फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ के बाद कृति सेनन और पंकज त्रिपाठी की जुगलबंदी इस फिल्म में भी काफी रोचक लगी है। कृति सेनन और पंकज त्रिपाठी के अलावा सुप्रिया पाठक, सई ताम्हणकर, मनोज पाहवा जैसे मझे हुए कलाकार ने भी अपनी अपनी भूमिकाएं बखूबी निभाई है।
क्यों देखनी चाहिए
हास्य और इमोशन से भरपूर फिल्म मिमी शुरू से लेकर अंत दर्शकों को बांधे रहती है। साथ ही कृति सेनन और पकंज त्रिपाठी ने अपने अभिनय से और भी रोचक बना दिया है। ऐसे में कृति और पकंज त्रिपाठी के फैंस के लिए तो ये फिल्म देखनी बनती है।
क्या हैं ख़ामियां
अब रिव्यू (Mimi Review) की बात है तो फिल्म की ख़ामियों का जिक्र करना भी जरूरी है। तो ओटीटी के हिसाब से देखा जाए तो इस फिल्म में रोमांस, ऐक्शन, थ्रिल जैसा कोई तड़का नहीं पर जो आमतौर ओटीटी दर्शक देखना पसंद करते हैं। हालांकि इसके बावजूद फिल्म आपको बोर नहीं करती है।