हॉरर कॉमेडी मौजूदा दौर में दर्शकों का पसंदीदा जॉनर बन चुका है, लिहाजा दर्शकों को लुभाने के लिए इस जॉनर की कई फिल्में कतार में लग चुकी हैं। इस कड़ी में ‘भूत पुलिस’ के बाद अब डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई हॉरर कॉमेडी फिल्म ‘एनाबेल सेतुपति’। तापसी पन्नू स्टारर ये फिल्म ट्रेलर रिलीज के साथ ही काफी सुर्खियों में रही है, इसलिए हमने भी ये फिल्मी देखी है और आपके लिए लेकर आए हैं इसका रिव्यू (Annabelle Sethupathi Review)।
गौरतलब है कि फिल्म ‘एनाबेल सेतुपति’ 17 सितम्बर को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है, जिसमें तापसी पन्नू के साथ साउथ स्टार विजय सेतुपति मुख्य भूमिका में नजर आए हैं। बता दें कि फिल्म हिंदी के साथ ही तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम में भी रिलीज हुई है। जिसमें हिंदी में रिलीज हुई फिल्म को टाइटल दिया गया है ‘एनाबेल राठौर’। दरअसल, ये फिल्म ब्रिटिश लड़की एनाबेल और राजा देवेंद्र राठौर की प्रेम कहानी है, जिसमें पुनर्जन्म और हॉरर कॉमेडी का तड़का लगाया गया है। तो चलिए फिल्म रिव्यू (Annabelle Sethupathi Review)की शुरूआत करते हैं कहानी के साथ…
क्या है ‘एनाबेल सेतुपति’ की कहानी
‘एनाबेल सेतुपति’ की कहानी देश की आजादी से पहले 1945 वाले भारत में स्थापित की गई है। जहां राजा देवेंद्र (विजय सेतुपति) दूसरे राजा चंद्रभान से उंचे दाम पर दो पहाड़ियों के बीच की ज़मीन खरीद उस पर अपने सपनों का महल खड़ा करते हैं। असल में, राजा देवेंद्र इस शाही पैलेस का खवाब अपनी प्रेमिका एनाबेल (तापसी पन्नू) के लिए सजाते हैं, जिसे अलग-अलग देशों के शिल्पाकारों की मदद से साकार करते हैं। शादी के बाद एनाबेल और राजा देवेंद्र उस पैलेस में अपने जीवन का सबसे खूबसूरत पल बिता रहे होते हैं कि उस पैलेस पर नजर पड़ती राजा चंद्रभान की।
उस पैलेस को देख चंद्रभान में जलन की भावना जाग उठती है कि उसने जिस ज़मीन को बेकार समझकर बेचा, राजा देवेंद्र ने उस पर इतना आलीशान महल खड़ा कर दिया। ऐसे में वो उसे राजा देवेंद्र से वापस खदीरने की इच्छा जताता है, पर राजा देवेंद्र के मना करने पर वो खाने में ज़हर देकर एनाबेल को मारने की कोशिश करता है, जिसके चलते राजा देवेंद्र और एनाबेल दोनो मर जाते हैं। इसके बाद जब चंदभान जब परिवार सहित इस महल में आता है तो इस घटना से दुखी राजा देवेंद्र का रसोईया सबके खाने में ज़हर मिला देता है।
जिसके बाद चंदभान के पोते के अलावा सबकी मौत हो जाती है और चंदभान समेत घर के सभी परिजन उस पैलेस में भूत बनकर रह जाते हैं। इसके बाद आगे की कहानी 2021 की है, जहां ये पैलेस सालों से बंद पड़ा है, पर अब राजा चंदभान के पोते का पोता इसे बेचना चाहता है। इसके लिए वो वो चोरों के एक परिवार को इसमें झांसे से भेजता है, ताकी भूतों की उपस्थिति का पता चल सके। वहीं इस परिवार की लड़की रूद्रा (तापसी पन्नू) के आने के साथ ही घर में रह रहे है भूतों को अपनी मुक्ति की राह दिखती है।
अब रूद्रा के चलते इन भूतों को मुक्ति मिलती है कि नहीं, क्या रूद्रा एनाबेल का पुनर्जन्म है और अगर है तो वो राजा चंद्रभान से कैसे अपना बदला लेगी? कहानी इसी सवालों का जवाब लिए आगे बढ़ती है। फिलहाल हम यहां उसका खुलासा नहीं करेगें। बात फिल्म रिव्यू (Annabelle Sethupathi Review) की है तो अभिनय-निर्देशन जैसे फिल्म के बाकी पक्षों पर बात कर लेते हैं। तो देखा जाए तो दीपक सुंदरराजन की लेखन और निर्देशन में बनी ये फिल्म कहानी के मामले में तो काफी रोचक है, पर हॉरर-कॉमेडी के नाम पर उतनी रोमांचक नहीं लगती, जितना की उम्मीद थी।
कहानी अच्छी, पर हॉरर कॉमेडी में नहीं है दम
खासकर फिल्म में हॉरर का तो नामों निशान नहीं दिखता है, पैलेस में भटकती आत्माओं से सिर्फ कॉमिक सिचुएशन क्रिएट होता दिखता है और वो भी उतना प्रभावी नहीं है। ऐसे में इससे पहले तापसी पन्नू की हॉरर कॉमेडी फिल्म ‘कंचना’ देख चुके दर्शकों को ये फिल्म बेहद एंटरटेनमेंट के मामले में कमजोर लग सकती है। हां, इसका सेकेंड हाफ रोचक बन पड़ा है, जिसमें एनाबेल और राजा देवेंद्र की लवस्टोरी पर फोकस किया गया है। इसी के साथ ही फिल्म के सेकेंड पार्ट की चक्कर में भी इस फिल्म में काफी कुछ गुंजाइश रह गई है।
विजय सेतुपति ने जमाया रंग तापसी पड़ी फीकी
अब बात करें अभिनय की तो फिल्म में टाइटल रोल के बावजूद तापसी पन्नू का जलवा नहीं चल पाया है। दरअसल, हिंदी फिल्मों के दमदार किरदारों में देखने के बाद तापसी का साउथ स्टाइल वाला किरदार रूद्रा उतना प्रभावी नहीं लगता है। हां, एनाबेल के किरदार में तापसी खूबसूरत दिखती हैं, पर उसमें भी वो बात नहीं है, जिसके लिए तापसी जानी जाती है। वहीं राजा देवेंद्र के किरदार में विजय सेतुपति काफी दमदार लगे हैं। इनके अलावा फिल्म के खलनायक राजा चंद्रभान के किरदार में जगपति बाबू और रसोइए के किरदारमें योगी बाबू भी जंचे हैं।
क्या हैं ख़ामियां
फिल्म रिव्यू (Annabelle Sethupathi Review) में ख़ामियों का जिक्र करना जरूरी है तो बता दें कि हॉरर कॉमेडी के नाम पर परोसी गई फिल्म ‘एनाबेल सेतुपति’ असल में उतनी एंटरटेनिंग नहीं है, जितनी की इससे उम्मीद की गई थी।
क्यों देखनी चाहिए
वहीं बात करें कि फिल्म क्यों देखनी चाहिए तो हॉरर कॉमेडी के बजाए इस फिल्म में देखने लायक कुछ है, तो वो है इसमें दिखाई गई बेहद खूबसूरत प्रेम कहानी। फिल्म का सेकेंड हाफ इस लवस्टोरी के साथ काफी रोचक है, जो दर्शकों को पसंद आएगा।