‘शतरंज से ज्यादा जटिल है बिहार की राजनीति, यहां घोड़े और हांथी की भी जाति होती है, यहां राजा को शह नहीं सीधे मात दी जाती है’… बिहार की सियासी दंगल का सच बयान करती ये लाइनें सोनी लिव की वेब सीरीज महारानी की हैं। सोनी लिव की ये सीरीज जोकि काफी दिनों से सुर्खियों में है, 28 मई से स्ट्रीम हो चुकी है और इसी के साथ हुमा कुरैशी के रूप में राबड़ी देवी के महारानी बनने की कहानी भी अब दर्शकों के सामने आ चुकी हैं। ऐसे में जानने वाली बात ये है कि आखिर बिहार की जिस सियासी हकीकत को लेकर ये सीरीज सुर्खियों में आई थी, वो इस सीरीज में दिखा भी है या ये सिर्फ अफसाना भर है ।
बिहार की सियासी दंगल पर लिखी गई फिल्मी कहानी है महारानी
दरअसल, बॉलीवुड फिल्ममेकर सुभाष कपूर की बेब सीरीज ‘महारानी’ काफी समय से चर्चाओं में है। बताया जा रहा था कि इस सीरीज में हुमा कुरैशी किसी दूसरी महिला राजनीतिक के किरदार को नहीं बल्कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का किरदार पर्दे पर जीवंत किया है। वहीं सीरीज के मेकर्स ने पूरी तरह से तो इस बात को नहीं स्वीकार किया है, पर इसमें मुख्य भूमिका निभाने वाले कलाकार हुमा कुरैशी और सोहम शाह इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि अपने किरदार की तैयारी उन्होनें राबड़ी और लालू यादव की वीडियो क्लिप देख कर की है।
वेब सीरीज महारानी के मेकर्स भले ही इसे राबड़ी देवी की बायोपिक न करार दे, पर इस सीरीज की कहानी और इसमें दिखाए गए घटनाक्रम काफी कुछ 1995-98 में हुए बिहारी के राजनीतिक घटना चक्र को दर्शाते हैं। कहानी की बात करें तो रानी (हुमा कुरैशी) नाम की महिला की कहानी है, जिसके पति भीमा यादव (सोहम शाह) बिहार के मुखिया है। एक दिन भीमा,राजनीतिक षडयंत्र का शिकार बन जाते हैं और दुर्घटना में बुरी तरह चोटिल होने के बाद राजनीतिक गलियारों में उनके उत्तराधिकारी को लेकर सवाल उठने लगते हैं। तो रानी के पति उत्तराधिकारी के रूप में रानी का नाम प्रस्तावित करते हैं।
इस तरह से घर के कामकाज तक सामित रहने वाली रानी एक दिन अचानक बिहार की सियासी दलदल में उतर पड़ती है। लेकिन पुरुष प्रधान वाली ये सियासी दुनिया उसके लिए किसी अजूबे से कम नहीं होती है, पर चाहते न चाहते हुए रानी इस सियासी दंगल के दांव पेंच सीखकर आज़माने लगती है। एक तरफ रानी खुद को बिहारी की राजनीति के अनुरूप ढ़ालने की कोशिश मे लगी है, तो दूसरी तरफ विरोधियों की चालबाजी भी जारी है, वहीं रानी अपने पति का भी विश्वास खो रही है। इस तरह से कुलमिलाकर ये उस औरत की कहानी है, जो एक प्यादे के तौर पर बिहार की सियासी बिसात पर बैठा गई थी, पर आगे चलकर वो प्यादे से रानी का सफर तय करती हैं।
हकीकत और अफसाने के बीच उलझी वेब सीरीज महारानी
वेब सीरीज महारानी में जहां 90 के दशक में बिहार में हुए घोटालों का जिक्र है, तो वहीं नायिका के रूप में रानी के किरदार को ईमानदार दिखाने के लिए कुछ घटनाक्रम जोड़ दिए गए हैं। देखा जाए तो सच्ची घटनाओं को आधार बनाकर गढ़ी गई ये कहानी रोचक है, पर वेब सीरीज के रूप में ये कहानी ठीक ढंग से गढ़ी नहीं जा सकी है। 10 एपिसोड के इस सीरीज में ये कहानी इतनी बोझिल हो जाती है कि चौथे-पांचवें एपिसोड तक आते-आते दर्शक उब जाए। शायद इसकी वजह ये भी रही है कि ये सीरीज बायोपिक और सच्ची घटना से प्रेरित कहानी के बीच उलझ कर रह गई है।
हुमा और अमित सियाल ने दिखाया दमदार अदाकारी का जौहर
हां, वेब सीरीज महारानी में अगर कुछ बेहतर और देखने लायक है तो वो हुमा कुरैशी की अदाकारी। रानी भारती के किरदार में हुमा जंची हैं, बोल-चाल और हाव भाव के साथ उनके चेहरे से रानी की मासूमियत और साहस दोनों ही साफ झलका है। हुमा के अलावा अमित सियाल भी रानी के प्रतिद्वंदी के रूप में दमदार लगे हैं, पर सोहम शाह भीमा यादव के किरदार में उतने प्रभावी नहीं लगे हैं। एक तरह से भीमा यादव के रूप में उन्हें लालू यादव का दिलचस्प किरदार स्क्रीन पर निभाने को मिला था, पर वो उसमें जान नहीं डाल पाए हैं।
कुल मिलाकर ये सीरीज वो कमाल नहीं कर सकी है, जो कि इससे उम्मीद की गई थी। हां, पर अगर ये वन टाइम वॉच है, खास तौर पर उन लोगों के लिए जो बिहार या देश की राजनीतिक घटनाक्रम में रूचि रखते हैं।
बिहार की सियासत से जुड़े तमाम किरदारों के बीच राबड़ी देवी का क़िरदार अपने आप मे विशिष्ट और आकर्षक है
इस विषय को लेकर जो सीरीज आ रही है वह पितृसत्तात्मक समाज व्यवस्था के बीच स्वागत योग्य है