फेक करेंसी यानी जाली नोट के गोरखधंधे की खबर अक्सर सुनने को मिल जाती है, ऐसे में मन में ये सवाल उठता है कि कैसे सरकारी एजेंसियों के नाक के नीचे ये कारोबार फलता-फूलता है और कौन हैं वो लोग जिनके मनसूबे इतने बुलंद होते हैं कि वो इस तरह के कारनामे को अंजाम देते हैं। इन सारें सवालों का जवाब लिए नकली नोटों की असली कहानी लेकर आई अमेज़न प्राइम की वेब सीरीज ‘फर्जी’ और हम आपके लिए लेकर आए हैं इसका रिव्यू (Farzi review in Hindi) ।
कैसी है शाहिद कपूर की डेब्यू सीरीज ‘फर्जी’,पढे़ें रिव्यू (Farzi review in Hindi)
बता दें कि बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर और साउथ के जानेमाने अभिनेता विजय सेतुपति के अभिनय से सजी ये सीरीज इसी शुक्रवार को ओटीटी पर रिलीज हुई है और रिलीज होने के साथ ही ये सीरीज चर्चाओं में है वजह है इसका कंटेंट और इसकी स्टार कास्ट। दरअसल, इस सीरीज में बॉलीवुड और साउथ के दो नामी स्टार के साथ ही हिंदी सिनेमा के पापुलर एक्टर अमोल पालेकर भी अहम भूमिका में हैं। वहीं ये सीरीज इसलिए भी चर्चाओं में है क्योंकि ये ‘द फैमिली मैन’ जैसी पापुलर सीरीज बनाने वाले राज एंड डीके की पेशकश है। जाहिर है कि सीरीज को लेकर पहले से ही काफी बज़ बन चुका है ऐसे में देखने वाली बात ये है कि आखिर ये सीरीज वास्तव में कैसी है?
क्या है फर्जी की कहानी (Web series Farzi story)
चलिए शुरू करते हैं इसका रिव्यू (Farzi review in Hindi) और शुरूआत करते हैं कहानी से। तो इस सीरीज की कहानी की बात करें तो ये सनी नाम के आर्टिस्ट को केंद्र में रखकर गढ़ी गई है। सनी (शाहिद कपूर) की मां नहीं हैं, वहीं बचपन में ही उसके पिता उसे ट्रेन में छोड़ कर चले जाते हैं, जिसके बाद उसके नाना जी (अमोल पालेकर) उसकी परवरिश करते हैं। नाना जी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं और समाज सेवा का जज्बा उनके अंदर इस कदर रहा है कि वो समाज को दिशा दिखाने के लिए क्रांति नाम की पत्रिका निकाल रहे हैं। इस पत्रिका के लिए उन्होने मार्केट से भारी कर्ज ले रखा है और अब कर्ज न चुका पाने की स्थिति में उनका प्रेस बंद होने के कगार पर आ चुका है।
ऐसे में बिन मां-बाप की औलाद सनी जो नाना जी के साए में पला हुआ है, वो हर हाल पर अपने नाना जी की प्रेस बचाना चाहता है। लेकिन उसके पास न तो कोई रोजगार है और न कोई काम धंधा है। हाथ में सिर्फ एक हुनर है चित्रकारी का… चित्रकारी में उसका हाथ इतना साफ है कि वो किसी भी चीज को कागज पर हूबहू उतार दे। ऐसे में जब उसे कहीं से नाना जी का कर्ज चुकाने का रास्ता नहीं नजर आता है तो वो नकली नोट की डिजाइन बनाता है और उसे अपने दोस्त की मदद से नाना जी की प्रींटिंग प्रेस में छापने लगता है। मजबूरी से शुरू हुआ नकली नोटों के छापने का काम धीरे-धीरे अब सनी का जुनून बन जाता है और देखते ही देखते वो जाली नोट के धंधे में उतर जाता है।
शुरूआत वो छोटे मोटे स्मगलर के साथ सौदे से करता है, पर जल्द ही वो जाली नोटों के सबसे बड़े कारोबारी मंसूर दलाल (के के मेनन) के नजर में आ जाता है। इसके बाद वो पेशेवर तौर पर मंसूर के साथ इस धंधे में बड़े कारनामें को अंजाम देने लगता है। वहीं मंसूर दलाल के पीछे लंबे वक्त से पुलिस अफसर माइकल वेदनायगम (विजय सेतुपति) लगा है, जो उसका पीछा करते हुए कभी नेपाल तक गया था। पर नेपाल में मंसूर, माइकल के साथी पुलिस कर्मियों को मारकर भाग निकला है तब से मंसूर, माइकल के टारगेट पर है। अब क्या माइकल, मंसूर और सनी के नकली नोटो के कारोबार का भांडा फोड़ कर पाएगा या फिर सनी के मदद से मंसूर का कारोबार यूं फलता रहेगा सीरीज की आगे की कहानी चोर-पुलिस के इसी खेल को दिखाती है।
राज एंड डीके की जोड़ी की एक और बेहतरीन पेशकश
कुल मिलाकार देखा जाए तो सीरीज की कहानी अपने आप में काफी रोचक है, जो दर्शकों को शुरू से लेकर अंत तक बांधे रहती है। दरअसल, ये सीरीज जिस तरह से फर्जी नोटों के गोरखधंधे का पूरा सच दिखाती है कि कैसे नेता और अफसरों की मिलीभगत से देश में ये धंधा पनप रहा है वो अपने आप में बेहद यूनीक है। क्योंकि इससे पहले फिल्मों में इस काले धंधे की बातें तो बहुत हुई हैं, पर पहली बार नकली नोटों को बनाने की प्रकिया और उसके कारोबार को इस सीरीज में दिखाया गया है। बता दें कि वेब सीरीज फर्जी की कहानी निर्देशक जोड़ी राज एंड डीके के साथ सीता आर मेनन और सुमन कुमार ने लिखी है। सीरीज की कहानी जितने अच्छे से बुनी गई है और उसे उतने ही बेहतरीन तरीके से राज एंड डीके ने दर्शकों के सामने पेश भी किया है।
शाहिद कपूर और विजय सेतुपति की जोड़ी ने जीता फैंस का दिल
कहानी और निर्देशन के बाद अब बात आती है अभिनय की तो शाहिद कपूर ने सनी के किरदार में पूरी जान डालने की कोशिश की है। देखा जाए तो शाहिद कपूर अब चॉकलेटी ब्वॉय की इमेज तोड़ ज्यादातर ग्रे शेड वाले किरदार निभा रहे हैं, सनी भी इसी किस्म का किरदार है। मजेदार डायलॉग और इमोशनल सीन्स उनके किरदार के हिस्से में खूब आए हैं जिनका उन्होनें पूरा फायदा लिया है। शाहिद कपूर के अलावा इस सीरीज का दूसरे लीड एक्टर हैं विजय सेतुपति और वो भी माइकल के रोल में काफी जंचे हैं। घर-परिवार से अलग माइकल सिस्टम के खिलाफ लड़ रहा है और कहानी के साथ ही उसके किरदार की परते दर्शकों के सामने खुलती जाती हैं।
वहीं विलेन के किरदार में के के मेनन के क्या कहने… उनका किरदार ह्यूमरस भी है और शातिर भी, जिसे के के मेनन ने अपने अभिनय से और भी मजेदार बना दिया है। इनके अलावा अमोल पालेकर और राशि खन्ना भी अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय कर पाए हैं। जिसके चलते सीरीज दर्शकों में विश्वसनीयता और रोचकता बना पाती है।
क्या हैं सीरीज की ख़ामियां
वहीं बात रिव्यू (Farzi review in Hindi) की है तो सीरीज की ख़ामियों की चर्चा करना भी जरूरी है, तो बता दें कि इस सीरीज में कई देखी सुनी चीजें दोहराई गई हैं। जैसे की पुलिस अफसर के रूप में माइकल के किरदार की ही बात करें तो निजी जिंदगी से परेशान माइकल का किरदार कई हालिया रिलीज सारी सीरीज के पुलिस वाले किरदारों से मेल खाता है। उसका अपनी पत्नी से मनमुटाव होना और उसकी पत्नी का दूसरी जगह अफेयर होना काफी कुछ राज एंड डीके की पापुलर सीरीज ‘द फैमिली मैन’ के श्रीकांत की याद दिलाता है। हालांकि अगर इन छोटी मोटी सिनेमाई कमजोरियों को छोड़ दें तो ये सीरीज दर्शकों के लिए एंटरटेनिंग हैं।
क्यों देखनी चाहिए
मालूम होकि इस सीरीज के 8 एपिसोड एक-एक घंटे की अवधि के हैं, ऐसे में रोकता न रहे तो शायद दर्शकों के लिए पहला एपिसोड ही झेलना मुश्किल हो जाता। पर यहां सीरीज में जिस तरह से नकली नोटों के धंधे की सभी कड़ियों को बारीकि से दिखाया गया है वो दर्शकों के लिए काफी रोचक बन पड़ा है। ऐसे में अगर अब तक आपने ये सीरीज नहीं देखी है, तो हमारा तो यही सुझाव है कि इस संडे इस सीरीज का लुत्फ लेना न भूलें।