ओटीटी कंटेंट को लेकर एक तरफ जहां लोगों में दीवानगी बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ इसे लेकर विवाद भी बढ़ता जा रहा है। जैसा कि इस वक्त अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘तांडव’ से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के एक कमेंट से नई बहस की शुरूआत हो गई। वहीं कुछ लोगों के लिए ओटीटी कंटेंट को लेकर उपजा ये विवाद अब तक पहेली है.. अगर आप भी इससे अंजान हैं तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है ये ओटीटी और तांडव कंट्रोवर्सी, जिसे लेकर इतना बवाल मच रखा है।
क्या है ओटीटी प्लेटफॉर्म
इस पूरे मामले को समझने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि हम ये जान लें कि आखिर ओटीटी प्लेटफॉर्म होता क्या है। दरअसल इसके शाब्दिक अर्थ की बात करें तो ओटीटी का फुलफॉर्म होता है ओवर द टॉप। वहीं असल में ओटीटी, वो प्लेटफॉर्म हैं जो इंटरनेट के माध्यम से फिल्में, वेब सीरीज, रिएलटी शो या किसी भी तरह का कंटेंट लोगों को उपलब्ध कराते हैं।
आज के समय में भारत में नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, सोनी लिव, ऑल्ट बालाजी, ज़ी5 जैसे तमाम लोकप्रिय ओटीटी प्लेट फॉर्म हैं, जो लोगों को सब्स्क्रिप्शन देकर फिल्में, वेब सीरीज और दूसरे ओटीटी कंटेंट उपलब्ध करा रहे हैं।
क्या है तांडव कंट्रोवर्सी
इसी साल की शुरूआत में 14 जनवरी को अमेजन प्राइम वीडियो पर ‘तांडव’ वेब सीरीज रिलीज हुई थी। सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया और मोहम्मद जीशान अय्यूब अभिनीत ये वेब सीरीज एक पॉलिटिकल ड्रामा थी, जिसमें देश के मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को दिखाने की कोशिश की गई थी।
पर राजनीति से इतर इसमें कई ऐसे तथ्य और चीजें थे जिसे लेकर विवाद शुरू हुआ.. जैसे कि इस सीरीज में हिंदू देवी देवताओं के गलत चित्रण और उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि को खराब करने का आरोप लगा।
दृश्य विशेष की बात करें तो इस वेब सीरीज में कॉलेज के एक प्ले के दौरान जीशान अयूब का किरदार भगवान शिव की छवि में एक मजाक करते और गाली देते हुए नजर आता है। इसके अलावा इस वेब सीरीज पर महिलाओं के अपमान का भी आरोप है, जैसा कि इसमें दिखाई गई सभी महिला किरदार राजनीतिक रूप से सशक्त होने के वाबजूद पुरुषों के साथ अवैध रिश्तों में रहने के लिए मजबूर होती हैं।
इस तरह के कई सारे दृश्य और तथ्यों को लेकर वेब सीरीज तांडव के के निर्माता, निर्देशक, लेखक और कलाकारों समेत अमेजन प्राइम वीडियो की इंडिया हेड अपर्णा पुरोहित के खिलाफ भी उत्तर प्रदेश की जगहों पर विभिन्न धाराओं में मुदकमें दर्ज हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
5 मार्च को तांडव विवाद मामले में अमेजन की क्रिएटिव हेड अपर्णा पुरोहित की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी कंटेंट पर सख्ती बरतते हुए इसे रेगुलेट करने का सख्त निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, ‘ आज के समय में लोगों का इंटरनेट पर फिल्में देखना कॉमन है, पर देखा जाए तो कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म वाकई अश्लील कंटेंट परोस रहे हैं, जिसे रेगुलेट करने की जरूरत है’।
वही कोर्ट ने सरकार से सोशल मीडिया और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए बनी नई गाइडलाइन भी सौंपने को भी कहा है।
ओटीटी- नई गाइड लाइन
इस सम्बंध में केंद्र सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म के सेल्फ रेगुलेशन के लिए कोड ऑफ एथिक्स बनाया है, जिसका इसका पालन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया कंपनियों को करना होगा। इसके अंतर्गत कंटेंट को पांच कैटेगरी में बांटना होगा और उसे हर कैटेगरी के कंटेंट पर दिखाना होगा कि वह किस उम्र वाले लोगों के लिए है।
वैसे बता दें कि नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो सहित ज्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने सेल्फ रेगुलेशन के लिए ये नियम पहले से ही लागू कर रखे हैं। जहां किसी भी कंटेंट के परिचय में दर्शक को दिख जाता है कि वह किस तरह का कंटेंट देखने जा रहे हैं।वहीं 5 मार्च को सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने देश के बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है और उनसे ओटीटी रेगुलेशन की नई गाइड लाइन के अनुसार काम कर दर्शको के लिए बेहतर कंटेट बनाने की अपील की है।
ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि तांडव कंट्रोवर्सी और सुप्रीम कोर्ट के कमेंट के साथ ओटीटी और पोर्नोग्राफी को लेकर शुरू हुई इस नई बहस का परिणाम क्या होता है.. ओटीटी प्लेट फॉर्म अपने कंटेंट को लेकर कितने सजग होते हैं और आने वाले दिनों में किस तरह का कंटेंट सामने आते हैं।
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