Rudra review

Rudra review: सिर्फ और सिर्फ अजय देवगन के लिए देखी जानी चाहिए ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’

अजय देवगन के फैंस का महीनों का इंतजार खत्म हो चला है, जैसा कि बॉलीवुड सुपस्टार की डेब्यू सीरीज ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ Disney+ Hotstar पर रिलीज हो चुकी है। ऐसे में जानने वाली बात ये है कि आखिर जिस सीरीज के लिए डिजिटल इंटरटेनमेंट की दुनिया में इतना हंगामा मचा था, वो सीरीज वास्तव में कितनी दमदार है। इसलिए हम लेकर आए हैं इसका रिव्यू (Rudra review)…

ब्रिटिश क्राइम ड्रामा सीरीज लूथर की रीमेक है रुद्रा

सबसे पहले बात कर लेते हैं ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’ की कहानी की तो अजय देवगन ने अपने ओटीटी डेब्यू के लिए सीरीज भी काफी रोचक चुनी है। बता दें कि अजय देवगन की ये सीरीज रूद्र- द ऐज ऑफ़ डार्कनेस, ब्रिटिश साइकोलॉजिकल क्राइम ड्रामा सीरीज लूथर की रीमेक है, जिसका निर्माण एप्लॉज़ एंटरटेनमेंट और बीबीसी स्टूडियोज़ ने मिलकर किया है। कुल मिलाकर इसी सीरीज में मर्डर मिस्ट्री और पुलिस इन्वेस्टिगेशन वाले इंटरेस्टिंग प्लॉट को अडॉप्ट कर भारतीय परिवेश के अनुसार पेश किया गया है, जिसे बाखूबी अंजाम दिया है ईशान त्र‍िवेदी, अब्‍बास और हुसैन दलाल ने।

वेब सीरीज ‘रुद्रा’ शुरू होती है रुद्र द्वारा एक पेशेवर किडनैपर को पकड़ने के साथ, जिसके बाद एक डबल मर्डर मिस्ट्री केस के लिए उसका सस्‍पेंशन हटाया जाता है। दरअसल, रुद्रवीर सिंह (अजय वेवगन) मुंबई पुलिस के स्‍पेशल क्राइम यूनिट में डीसीपी है, पर उसका काम करने का अपना तरीका है जिसके लिए  वो नियमों को तोड़ने से भी परहेज नहीं करता। ऐसे में वो अक्सर डिपार्टमेंट के लोगों के रडार पर आ जाता है।

सात महीने के सस्‍पेंशन के बाद रुद्र को एक डबल मर्डर केस की जिम्मेदारी दी जाती है, जिसमें रुद्र का शक मृत कपल की बेटी आलिया (राशि खन्ना) पर जाता है। पर वाजिब सबूत न होने के चलते डिपार्टमेंट रुद्र की बात पर यंकीन नहीं करता है और यहां से शुरू होती है एक जीनियस पुलिस ऑफिसर (रुद्र) और एक शातिर संदिग्ध (आलिया चोकसी) के बीच की जंग, जो बाद में कुछ हद तक दोस्ती में भी बदल जाती है।

सीरीज के हर एपिसोड की अपनी अलग कहानी है

पहले एपिसोड की तरह ही सभी 6 एपिसोड में एक नए केस की जांच होती है, और इस तरह हर एपिसोड की एक अलग कहानी है, पर ये सब कहीं न कहीं आपस में जुड़े हुए हैं। इसके अलावा दूसरी तरफ रुद्र की पर्सनल लाइफ की परतें भी धीरे-धीरें खुलती जाती हैं। दरअसल, रुद्र की शादीशुदा लाइफ खुशहाल नहीं है, उसकी पत्नी शैला (ईशा देओल तख्तानी) दूसरे शख्स के साथ रिलेशनशिप में है। ऐसे में सीरीज में अजय देवगन का दिल टूटे आशिक का रूप भी देखने को मिलता है, जोकि सीरीज के आखिरी एपिसोड में कहीं अधिक इटेंस हो जाता है, जब शैला का कत्ल होता है और उसका इल्जाम खुद रुद्र पर लगता है।

कैसी है ‘रुद्रा: द ऐज ऑफ डार्कनेस’, पढ़ें पूरा रिव्यू (Rudra review)

इससे अधिक सीरीज की स्टोरी के बारे में खुलासा करना यहां सही नहीं होगा, बात वेब सीरीज के रिव्यू (Rudra review) की है तो अभिनय और निर्देशन जैसे बाकी पक्षों पर बात कर लेते हैं। तो बता दें कि ‘फरारी की सवारी’ जैस फिल्म से बॉलीवुड डेब्यू करने वाले डायरेक्टर राजेश मापुस्‍कर ने इस सीरीज को निर्देशित किया है। बात करें उनके काम की तो एक हद तक इस बड़े प्रोजेक्ट को अंजाम देने में वो सफल लगते हैं, ब्रिटिश सीरीज लूथर को भारतीय परिवेश के हिसाब से ढ़ालने में उन्होनें काफी मशक्त की है। पर इसके जरूरत से अधिक लंबे एसिपोड और धीमी गति खलती है, जोकि दर्शकों कई बार बोर भी करती है।

‘रुद्र’ के अवतार में छाए अजय देवगन

बात करें अभिनय की तो इस सीरीज में अजय देवगन अपने पूरे कलेवर में नजर आए हैं। वैसे तो ‘गंगाजल’ और ‘सिंघम’ जैसी फिल्मों में भी उनका पुलिस वाला किरदार दमदार रहा है, पर रुद्र की बात ही कुछ और है। ग्रेड शेड लिए हुए इस किरदार को अजय देवगन ने पूरी शिद्दत से निभाया है, जिसमें डायलॉग्स से कहीं अधिक प्रभावी उनकी बॉडी लैंग्वेज और आंखे लगती हैं। कुल मिलाकर ये वैसा ही किरदार है, जिसका अजय देवगन के फैंस उनसे उम्मीद करते हैं।

अजय देवगन के अलावा सीरीज में राशि खन्ना, अतुल कुलकर्णी और आशीष विद्यार्थी जैसे कलाकारों ने भी अपने अभिनय से ध्यान खींचा है। हां अगर किसी के अभिनय से निराशा मिली है तो वो हैं ईशा देओल। देखा जाए तो ईशा देओल के पास कमबैक का अच्छा मौका था, अजय के साथ उनकी जोड़ी पहले काफी पसंद की जा चुकी हैं। ऐसे में इस सीरीज में अजय के अपोजिट उन्हें अच्छा किरदार मिला था, पर इसे प्रभावी बनाने में वो कामयाब नहीं हो सकी।

क्यों देखनी चाहिए

अब अगर पूछा जाए कि वेब सीरीज ‘रुद्रा’ क्यों देखनी चाहिए तो इसका जवाब है सिर्फ और सिर्फ अजय देवगन के लिए। जी हां, अजय देवगन के फैंस के लिए ये सीरीज ट्रीट साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें अजय देवगन की अदाकारी के हर रंग देखने को मिलता है।

क्या हैं ख़ामिया

हां, मगर क्राइम थ्रिलर के शौकीन दर्शकों को इस सीरीज से खास सस्पेंस और थ्रिल की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इसमें उतना मसाला नहीं जितना कि दूसरी क्राइम थ्रिलर सीरीज में आमतौर पर मिलता है। इसमें आपको चौकाने वाले खुलासे नहीं मिलते बल्कि आप रुद्र के साथ-साथ ही केस में इनवॉल्व होते हैं। ऐसे में अगर आप अजय देवगन के डाय हार्ड फैन नहीं है तो हो सकता है कि ये सीरीज आपको खास आकर्षित न करे।

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