Kota factory 2 review

Kota factory 2 Review: वॉर को हारने वाला भी वॉरियर होता है, लूजर नहीं… गुरुमंत्र के साथ फिर छाए जीतू भैया

जीतू भैया का मोटिवेशन से भरा ये डायलॉग सपनों के प्रति टूटती उम्मीदों और मेहनत और आईआईटी के बीच सेतु बनाने का काम करता है। जी हां, अपने ऐसे कई संवादों के साथ जीतू भैया फिर अपनी गुरु शिष्य की परंपरा के साथ लौट आए हैं। 24 सितंबर को बहुप्रतीक्षित सीरीज कोटा फैक्ट्री का दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुका है। ऐसे में फैंस से जानने के लिए उत्सुक हैं कि क्या इस बार जीतू भैया का जादू चला है या नहीं, इसलिए हम लाए हैं इसका रिव्यू (Kota factory 2 Review)

अगर पहली नजर में बात की जाए तो कोटा फैक्ट्री का यह सीजन अब तक कमजोर सेकेंड सीजन वाले मिथक को तोड़ने में पूरी तरह से कामयाब रहा है। यदि आपने पहला सीजन देखा है तो दूसरा सीजन आपको निराश नहीं करेगा।

Kota factory Season 2 CAST

कोटा फैक्ट्री का दूसरे सीजन के कास्ट की बात करें तो लगभग सभी चेहरे पहले सीजन से मिलते नजर आते हैं। कहानी के केन्द्र में पिछली बार तरह वैभव पांडे, मयूर मोरे के किरदार में हैं। रंजन राज, आलम खान, रेवती पिल्लई, अहसास चन्ना, वैभव ठक्कर और उर्वी सिंह अन्य सहयोगी भूमिका में हैं।  जीतू भैया उर्फ जितेन्द्र कुमार पहले सीजन की तरह भौतिकी के शिक्षक के रूप में नजर आ रहे हैं। इसके अलावा TVF के बहुत से जाने पहचाने चेहरे सहयोगी कास्ट में हैं।

Kota factory Season 2 PLOT

कोटा, इस शहर का नाम सुनते ही आईआईटी के की जद्दोजहद में भागते हजारों परीक्षार्थियों की भीड़ आंखों के सामने दौड़ने लगती है। इसी भीड़ में छुपे हजारों स्टूडेंट्स के लाखों इमोशन्स को कोटा फैक्ट्री सीजन 2 के पांच एपिसोड्स में दिखाने का प्रयास किया गया है। पिछली सीजन की तरह इस बार भी हर एपिसोड में अलग अलग एंगल से कोटा के जीवन को पकड़ा गया है लेकिन कहानी का मुख्य फोकस आईआईटी ही रखा गया है।

पहला एपिसोड जहां जबाव देता है आईआईटी क्यों करनी है तो वहीं दूसरा एपिसोड सेक्स एजुकेशन जैसे गंभीर मुद्दे को संबोधित करता है। तो वहीं तीसरा एपिसोड पूरे तरीके आईआईटी की महिला प्रतिभागियों को समर्पित है। चौथे एपिसोड में बताया गया है कि किस प्रकार एक स्टुडेंट ही नहीं बल्कि पूरा परिवार आईआईटी की परीक्षा देता है। वहीं पांचवें एपिसोड में रिजल्ट के बाद के खुशी और गम के माहौल को एक साथ पर्दे पर दिखाया गया है।

Kota factory 2 Review

कोटा फैक्ट्री के दूसरे सीजन की बात की जाए तो कहानी पूरे तरीके से दर्शकों की उम्मीद पर खरी उतरती है। हर एपिसोड के दौरान लगातार आने वाले वन लाइनर्स और इमोशन का सैलाब दर्शकों को कहानी से बांधकर रखता है। पूरे सीजन के बीच में आईआईटी के शिक्षकों की मानसिकता को दिखाया गया है, जोकि तारीफ के काबिल हैं। साथ ही कोचिंग संस्थानों की आड़ में चल रहे गोरखधंधों पर भी कहानी जोरदार प्रहार करती है। वहीं एक्टिंग की बात करें तो जीतू भैया समेत सभी कलाकारों ने बेहतरीन काम किया है। जो कहानी सही मायनों में डिलेवर करती है।

अब बात रिव्यू (Kota factory 2 Review) की है तो सीरीज के नकारात्मक पक्षों की भी बात कर लेते हैं, देखा जाए तो इस बार वैभव और वर्तिका के लव एंगल को कम जगह दी गई। वहीं रंजन राज भी इस बार कम ही गुदगुदा पाते हैं। कुल मिलाकर यदि पहले सीजन से तुलना करें तो कहीं ना कहीं कमी रह जाती है।

हालांकि इन सब के बावजूद कोटा फैक्ट्री का दूसरा सीजन आईआईटी अपीयरेंस समेत सभी स्टूडेंट्स के लिए मोटिवेशन की अच्छी खासी खुराक बन सकता है।

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