BHOOT POLICE REVIEW

BHOOT POLICE REVIEW: नकली और असली भूतों के बीच फंसे सैफ-अर्जुन, यामी-जैकलीन का जादू भी पड़ा फीका

डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर इस महीने की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘भूत पुलिस’ रिलीज हो चुकी है। रागिनी एमएमएस और फोबिया जैसी फिल्में बना चुके पवन कृपलानी की इस फिल्म को लेकर लेकर फैंस खासा उत्साहित रहे हैं। क्योंकि एक तरफ जहां इस फिल्म में हॉरर कॉमेडी का तड़का है तो वहीं दूसरी तरफ सैफ अली खान, अर्जुन कपूर, जैकलीन फर्नांडीज और यामी गौतम जैसी स्टार कास्ट भी। ऐसे में जानने वाली बात ये है कि क्या ये फिल्म फैंस की अपेक्षाओं पर खरी उतर पाई है या नहीं? इसलिए हम लाए हैं फिल्म ‘भूत पुलिस’ का रिव्यू (BHOOT POLICE REVIEW)…

क्या है ‘भूत पुलिस’ की कहानी

सबसे पहले फिल्म की कहानी की बात कर लेते हैं तो फिल्म में दो भाईयों विभूति वैद्य (सैफ अली खान) और चिरौंजी वैद्य (अर्जुन कपूर) के साथ दो बहनों माया (यामी गौतम) और कनिका (जैकलीन फर्नांडिस) की कहानी दिखाई गई है। जिसमें विभूति और चिरौंजी अपने पिता (उल्लट बाबा) की तंत्र विद्या के जरिए अपनी रोजी रोटी कमा रहे हैं, पर इनमें बड़ा भाई विभूति जहां लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसे कमाने की कोशिश में लगा रहता है। तो वहीं छोटा भाई चिरौंजी पिता के बताए तंत्र विद्या से लोगों की मदद करना चाहता है।

भूत पुलिस

इधर अपने पिता के गुजरने के बाद माया अपने पिता की विरासत, धर्मशाला के नजदीक सिलावट इस्टेट के चाय बागानों को संभाल रही है। पर कुछ दिनों से उसके इस्टेट में एक प्रेत आत्मा की साया मंडराने लगी है। ऐसे में अपने इस्टेट को साये से मुक्ति दिलाने के लिए माया भूत-मेले में उल्लट बाबा को ढूंढते हुए उनके बेटों चिरौंजी और विभूति से मिलती है। दरअसल, उल्लट बाबा ने 27 साल पहले इसी कचकंडी नाम की प्रेतनी से मुक्ति दिलाई थी। इसलिए माया अपने साथ चिरौंजी और विभूति को इस्टेट लेकर आती है।

Bhoot police

वहीं माया की बहन कनिका को भूत-प्रेत पर बिलकुल विश्वास नहीं है। अब क्या वास्तव में कचकंडी की 27 साल बाद वापसी हुई है या ये किसी की साजिश है ? और अगर कचकंडी की वापसी वास्तव में हुई है तो विभूति जैसा धूर्त और चिरौंजी जैसा नौसिखिया तांत्रिक उससे कैसे निपटेंगे, फिल्म इसी रोमांच के साथ आगे बढ़ती है। फिलहाल हम यहां उसका खुलासा कर, फिल्म का रोमांच खत्म नहीं करना चाहते हैं। बात फिल्म रिव्यू (BHOOT POLICE REVIEW) की है, इसलिए अभिनय, निर्देशन और फिल्म के बाकी पक्षों पर बात कर लेते हैं।

हॉरर कॉमेडी से रोमांच नदारद

हॉरर कॉमेडी अपने आप में बेहद हिट फॉर्मूला है, जिसे अपनाकर ‘भूल-भुलैया’ और ‘स्त्री’ जैसी फिल्में सफल हो चुकी हैं। पर देखा जाए तो यहां पवन कृपलानी इस फॉर्मूले का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं। फिल्म के नकली भूत न तो हंसा पाते हैं और न ही असली भूत डरा पाते हैं। वहीं दो हीरो के साथ दो हीरोइनो की जोड़ी के बावजूद फिल्म में कोई रोमांच नही है। मानो किसी ने खाना बनाने के लिए सभी मसालों और इंग्रेडिएंट्स से किचन तो सजा लिया पर उससे खाना ही न बन पाया हो।

औसत फिल्म में औसत अभिनय

अब अगर फिल्म की कहानी और निर्देशन में ही दम न हो तो कलाकारों से भी क्या उम्मीद की जाए। इस औसत फिल्म में कलाकारों का अभिनय भी औसत ही देखने को मिला है। सैफ अली खान जहां अपने चिरपरिचित अंदाज में दिखे हैं तो वहीं अर्जुन और जैकलीन ने किरदार के हिसाब से अपने आपको पेश करने की कोशिश की है। हां, अगर किसी के हांथ अच्छा किरदार लगा है तो वो हैं यामी गौतम, पर फिल्म में उन्हें देखते हुए भी हॉरर फिल्म ‘1920’ की अदा शर्मा की यादे ही ताजा हो पाती हैं।

इनके अलावा ‘भूत पुलिस’ के कलाकारों में अमित मिस्त्री का जिक्र करना बेहद जरूरी है, जिनका इसी साल निधन हुआ है। तो देखा जाए तो अमित मिस्त्री अपनी आखिर फिल्म में यादकार भूमिका निभा गए हैं। वहीं महज एक सीन में दिखे राजपाल यादव को दर्शकों के लिए याद रखना भी मुश्किल हो जाता है।

क्या है ख़ामियां

अब अगर साफ-साफ बात करें ‘भूत पुलिस’ की ख़ामियों की तो फिल्म को औसत से बेहतर बनाने में कई सारी चूक हो गई हैं। जैसे फिल्म में अच्छे वीएफएक्स और एडिटिंग की कमी दिख रही है, तो वहीं फिल्म की कहानी भी काफी कमजोर है।

क्यों देखनी चाहिए

हालांकि फिल्म ‘भूत पुलिस’ उम्मीद के मुताबिक रोमांचक नहीं है, पर इस वीकेंड के लिए ठीक-ठाक टाइम पास साबित हो सकती है। खासकर अगर आप यामी गौतम के फैन हैं तो क्योंकि इस फिल्म में सबसे प्रभावी किरदार यामी का ही है।

खैर बाकि आपकी मर्जी है कि फिल्म ‘भूत पुलिस’ देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू (BHOOT POLICE REVIEW) पढ़ कर फिल्म देखने के आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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