Qubool hai 2.0 review in Hindi

Qubool Hai 2.0 Review: वतनपरस्ती और इश्क का जुनून, जोया-असद की कहानी है दिलचस्प

फिल्मी सितारों के साथ ही टीवी कलाकारों के लिए भी ओटीटी प्लेटफॉर्म संजीवनी साबित हो रही है। बहुत से ऐसे टीवी कलाकार हैं जिन्होनें ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जबरदस्त वापसी की है। इसी कड़ी में 12 मार्च को जी5 पर रिलीज हुई वेब सीरीज़ ‘कुबूल है 2.0’ से लोकप्रिय टीवी सीरियल ‘कुबूल है’ की जोया-असद की जोड़ी की दर्शकों के बीच वापसी हुई है। पर इस बार जोया-असद की कहानी में इश्क के साथ ही वतनपरस्ती का जुनून भी शामिल है। चलिए आपको संक्षेप में इस वेब सीरीज का रिव्यू Qubool Hai 2.0 Review बताते हैं, ताकी आप निर्णय ले सकें कि आपको ये वेब सीरीज देखनी है या नहीं और अगर देखनी है तो किन कारणों से।

Qubool hai 2.0 review

क्या है कहानी

इस वेब सीरीज की शुरूआत, पहले एपिसोड में असद और जोया के बीच रोमांटिक एनकाउंटर से होती है। दरअसल, असद अहमद ख़ान एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का राइफल शूटिंग चैम्पियन है, जोकि दिल्ली में अपनी मां और बहन के साथ रहता है, पर इससे इतर असद की एक और भी पहचान है, जिससे उसका परिवार वाकिफ नहीं है। ऐसे में जब बेलग्रेड में असद शूटिंग चैंपियनशिप से लौट रहा होता है तो वहां बेलग्रेड की सड़कों पर जोया से टकरा जाता है, जोकि अपने निकाह से भाग रही होती है।

Qubool hai 2.0

असल में वो निकाह ज़ोया पारिवारिक दबाव में कर रही थी और फिर ऐन मौक़े पर ही अपनी दोस्त सना शेख़ के मदद से वो भाग जाती है। जोया और असद के बीच मुलाकात का सिलसिला बार बार होता है, जिसके बाद ये दोनो करीब आते हैं। इसी बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में असद ज़ोया को उसके पिता जनरल बख्तियार के पास इस्लामाबाद पहुंचा देता है, पर वहां एक रोज एक हमले में जनरल बख्तियार की मौत हो जाती है।

इसके बाद हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि असद और ज़ोया निकाह की मंजिल तक पहुंच जाते हैं, पर जब दोनों भारत के लिए रवाना हो ही रहे होते हैं कि एयरपोर्ट पर ज़ोया का भाई हैदर एक ऐसा खुलासा कर देता है, जिससे असद और ज़ोया की ये मोहब्बत मुश्किल में आ जाती है। असल में असद एक अंडरकवर एजेंट है और वो वही शक्स है जिसने ज़ोया के पिता की हत्या की थी। इस तरह से मृणाल अभिज्ञान झा की लिखी इस कहानी में कई रोचक मोड़ हैं जो इस वेब सीरीज को रोमांचक बनाते हैं।

अभिनय की कसौटी

अभिनय की बात करें तो ‘कुबूल है 2.0’ की कहानी के हिसाब से कलाकारों ने काफी हद तक अच्छा काम किया है… गंभीर और संजीदा असद के किरदार में करण सिंह ग्रोवर जहां जंच रहे हैं तो वहीं जॉली ज़ोया के रूप में सुरभि ज्योति भी लुभाती हैं। हां पर, रॉ की हेड की रूप में मंदिरा बेदी का बिंदासपन ठीक नहीं लग रहा है, खासकर उनका लुक। इनके अलावा शालिनी सागर, सौरभ राज जैन और लिलेट दुबे जैसे कलाकार भी ध्यान खींचते हैं।

क्यों देखनी चाहिए

बात करें कि क्यों देखनी चाहिए ‘कुबूल है 2.0’ तो इसका पहला कारण तो ये हो सकता है कि आप जोया-असद के फैन हैं तो ये सीरीज आपके लिए किसी सौगात से कम नहीं हैं। इसके अलावा अगर आप स्पाई थ्रिलर फिल्म या कंटेंट पसंद करते हैं तो आपको ये सीरीज पसंद आ सकती है।

क्या हैं खामियां

हालांकि देखा जाए तो रोचक कहानी के बावजूद ‘कुबूल है 2.0’, वेब सीरीज जॉनर में भी टीवी के डेली सोप जैसा फील देती है। इसकी वजह है कहानी में भारत-पाक के बीच आपसी सम्बंधों और दो मुल्कों की सुरक्षा एजेंसियों की बात तो हो रही है पर इसे पर्दे पर सशक्त तरीके से दिखाया नहीं जा सका है। ऐसे में इस वेब सीरीज से आप बहुत उम्मीदें नहीं पाल सकते हैं, हां पर ये आपके लिए अच्छा टाइम पास जरूर साबित हो सकती है।

खैर बाकि आपकी मर्जी है कि वेब सीरीज देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू Qubool hai 2.0 review पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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