The Married Woman review: सामाजिक बंदिशों के साए से निकली ‘द मैरिड वुमन’

फ्रेंच लेखिका और फेमिनिस्ट सिमोन द बोउवार का कथन है… स्त्री पैदा नहीं होती, बना दी जाती है। 19वीं सदी में फ्रांस में कही गई ये बात आज भी दुनिया के अधिकांश देशों में महिलाओं के लिए सच साबित होती है । महिलाओं के लिए समाज में सिर्फ नियम कायदे कानून ही तय नहीं किए जाते, बल्कि समाज ने उसकी खुशी की तय परिभाषा भी रखी है जो शादीशुदा जिंदगी पर जा सिमटती है। ऐसे में अगर कोई औरत आदर्श पत्नी का चोला उतार कर खुद की तलाश में निकल जाए तो फिर फ़साना बनना तो तय है। यही फ़साना अब वेब सीरीज के रूप में सामने आया है, जिसका रिव्यू The Married Woman review हम आपके लिए लेकर आए हैं।

जी हां, हम बात कर रहे रहे हैं प्रसिद्ध लेखिका मंजू कपूर के बेस्टसेलर उपन्यास ‘ए मैरिड वुमन’ पर आधारित वेब सीरीज ‘द मैरिड वुमन’ की, जोकि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के खास मौके पर 8 मार्च को ऑल्ट बालाजी और जी5 पर रिलीज हो चुकी है।

खुद की तलाश में निकली एक औरत की कहानी

बात करें इसकी कहानी की तो 1990 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित ये वेब सीरीज आस्था नाम की एक औरत (रिद्धि डोगरा) की कहानी है, जो टीचर की नौकर करती है और सामाजिक तौर पर एक अच्छी खासी शादीशुदा जिंदगी जी रही है। घर में जिम्मेदार पति, बेहद प्यारे दो बच्चे और अभिभावक के तौर पर हर वक्त हिदायत देने वाले सास-ससुर हैं, जिनके साथ आस्था भी पारिवारिक माहौल में खुश है। पर उसकी जिंदगी में हलचल तब होती है जब एक रोज उसकी मुलाकात बेहद उदार और प्रगतिशील सोच वाले शख्स एजाज़ खान (इमाद शाह) से होती है।

दरअसल, एजाज़ उस प्ले को डायरेक्ट कर रहा होता है, जिसे उसने अपने कॉलेज के लिए लिखा होता है। शुरूआती नोकझोक के बाद आस्था, एजाज के प्रगतिशील सोच से प्रभावित होने लगती है और दूसरी तरफ उसे अपने घर के पितृसत्तात्मक माहौल से तनाव होने लगता है। पर आस्था की इस कहानी में असली टविस्ट तब आता है, जब वो एजाज़ की आजाद ख्यालों वाली वाइफ पिपलिका (मोनिका डोगरा) से मिलती है। ऐसे में एजाज़ ने जहां उसे अपने बारे में सोचने को मजबूर किया था, वहीं पिपलिका उसे खुद से प्यार करना सीखा देती है।

इसी बीच कहानी में 90 के दशक के राजनीतिक माहौल को भी दिखाया जाता है कि धर्म के नाम पर दो समुदाय विशेष के बीच हर रोज दंगे और फ़साद हो रहे हैं। इसी सम्प्रदायिक दंगो का शिकार बनता है एजाज़, जिसमें उसकी मौत हो जाती है। इसके बाद उसकी मौत के गम में डूबी पिपलिका और अपने आसपास के रूढ़िवादी सोच से आहत आस्था एक दूसरे के करीब आती हैं और सामाजिक बंदिशों के साए में उनके बीच पनपता है समलैंगिक प्रेम सम्बंध।

ऐसे में 90 के दशक के सामाजिक रूढ़िवादी माहौल में जब इस रिश्ते का खुलासा आस्था के परिवार के सामने होता है भूचाल आना तो तय है। पर इस बवंडर के बीच आस्था क्या अपने प्यार को खुलकर स्वीकार कर पाती है, क्या वो अपने बच्चों और पति को छोड़ खुद की इच्छाओं को पूरा करने की राह पर निकल पाती है और इस राह की मंजिल क्या होगी, ये वेब सीरीज देखने के बाद पता चल जाएगा।

चलिए अब बात कर लेते हैं कहानी के साथ ही कलाकारों के अभिनय और इस वेब सीरीज के कमजोर व मजबूत पक्ष की ।

अभिनय कसौटी पर खरे उतरे कलाकार

इस वेब सीरीज में जिस तरह का संवेदनशील मुद्दा उठाया गया है, उसे प्रभावी बनाने के लिए बेहद संजीदा अभिनय की जरूरत थी, जिसमें इसके कलाकार सफल साबित होते दिखते हैं। आस्था के किरदार में रिद्धि बेहद स्वाभाविक लगती हैं और उनके चेहरे पर एक औरत की अधूरी चाहतों की कशिश साफ नजर आती है तो वहीं पिपलिका के रूप में मोनिका बेहद बिंदास नजर आई हैं।

क्यों देखनी चाहिए ‘द मैरिड वुमन’

अगर आपको क्लासिक और सेंसिटिव टाइप की फिल्में पसन्द हैं तो ये आपको जरूर देखनी चाहिए। दरअसल ‘द मैरिड वुमन’ नई बोतल में रखी पुरानी शराब की तरह है.. ये ओटीटी कंटेंट भले ही है पर असल में इसकी तासीर उसे पसन्द आएगी जो जज्बातों की तासीर महसूस कर सकता है। वहीं इसका बैक ग्रॉउंड स्कोर और हर एपिसोड के पहले आने वाला म्यूजिक भी ताजगी का अहसास करता है।

क्यों खटक सकती है ये वेब सीरीज

अगर आप महज मनोरंजन के लिए वेब सीरीज देखना पसंद करते हैं तो फिर ये वेब सीरीज आपको खटक सकती है। क्योंकि शादीशुदा जिंदगी से निराश औरत के एक्सट्रा मैरिटल अफेयर में पड़ने की कहानी इससे पहले भी ‘कभी अलविदा ना कहना’ जैसी कॉमर्शियल फिल्म में आप देख चुके हैं। ऐसे में इस वेब सीरीज की कहानी न तो आपके लिए दिलचस्प होगी और नही टाइम पास साबित होगी।

खैर बाकि आपकी मर्जी है कि वेब सीरीज देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू The Married Woman review पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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