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THE BIG BULL REVIEW: स्कैम 1992 वाला रिस्क अभिषेक बच्चन को पड़ा महंगा

‘कहानी किरदार से नहीं बनती, हालातों से बनती है’ ये लाइन अभिषेक बच्चन की हालिया रिलीज फिल्म ‘द बिग बुल’ की है और ये लाइन इस फिल्म पर सटीक बैठती नजर आ रही हैं। क्योंकि फिल्म द बिग बुल की कहानी और किरदार पूरी तरह से सुपरहिट वेब सीरीज स्कैम 1992 के सरीखे हैं पर ये फिल्म उन हालातों में आई हैं कि दर्शकों के सिर से स्कैम 1992 की खुमारी उतरी भी नहीं है। ऐसे में इस फिल्म की तुलना स्कैम 1992 से होना तो लाज़मी है। हाल येे है कि फिलहाल  हर कोई यही जानना चाहता है कि अभिषेक बच्चन की ये फिल्म आखिर वेब सीरीज स्कैम 1992 जितनी रोचक है भी या नहीं। हमने भी इसी उत्सुकता में ये फिल्म देखी है और आपके लिए इसका रिव्यू THE BIG BULL REVIEW लेकर आए हैं।

scam 1992 & The big bull

सच्ची घटना पर आधारित हेमंत शाह की फिल्मी कहानी

बात अगर कहानी की करें तो फिल्म के डिसक्लेमर में ही इस बात का जिक्र कर दिया गया है कि इसकी कहानी सच्ची घटना पर आधारित है, पर यहां फिल्ममेकर सीधे किसी के साथ समानता दिखाने से बचे हैं। शायद यही वजह है स्कैम 1992 की तरह इसमें हर्षद मेहता के किरदार को वास्तविक नाम के बजाए, उसे हेमंत शाह के रूप में दर्शकों के सामने पेश किया गया है। फिल्म की कहानी शुरू होती है 2020 में बिगबुल यानी हेमंत शाह (अभिषेक बच्चन) पर लिखी किताब के विमोचन से, ये किताब उस पत्रकार मीरा (इलियाना डिक्रूज) ने लिखी है जिसने हेमंत शाह द्वारा किए गए घोटाले का खुलासा किया था।

मीरा मीडिया को हेमंत शाह की कहानी सुनाती हैं और यहां से कहानी फ्लैश बैक में जाती है, जब हेमंत शाह मुंबई की एक छोटी सी चॉल में रहता है… नौ से पांच की नौकरी करता है। फिर परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि उसके दिमाग में पैसा कमाने का भूत सवार हो जाता है, वह कुछ कर पाने की कोशिश में लगा है कि इसी बीच उसकी प्रेमिका प्रिया (निकिता दत्ता) की शादी तय हो जाती है। प्रिया के पिता की कुछ शर्ते हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए शॉर्टकट पकड़कर पैसे कमाने शुरु कर देता है। इसी दौरान उसे पता चलता है, कि अगर बड़ी कंपनियों की अंदरूनी ख़बर मिल जाये तो स्टॉक मार्केट से पैसा कमाया जा सकता है।

इसी की जानकारी लगाने के लिए हेमंत शाह कई तिकड़म करता है। उसके बाद बैंकिंग सिस्टम के लूप फॉल का फायदा उठाकर बैंकों का पैसा शेयर बाजार में लगा देता है। देखते ही देखते उसकी पहुंच बढ़ती है, राजनीति में संपर्क बनते जाते हैं, लेकिन कोई है, जो उसकी रफ्तार धीमी करना चाहता है, जिसकी वजह से वो अंत में फंस जाता है और जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाता है, राइटर ने इसको एक सस्पेंश के तौर पर पेश किया है। इसलिए हम भी ये सस्पेंस नहीं खोलेंगे, हमारी कोशिश आपको एक इस फिल्म का ईमानदार रिव्यू THE BIG BULL REVIEW देने की है, तो बात कहानी के साथ अभिनय और दसरे पहलुओं पर कर लेते हैं।

हेमंत शाह की तरह फिल्म की कहानी भी काफी तेज दौड़ती है

अगर हम फिल्म द बिग बुल की रिव्यू (THE BIG BULL REVIEW) की बात करें तो न चाहते हुए भी इसकी तुलना स्कैम 1992 से हो ही जाती है। जैसे कहानी को ही ले लें तो बिगबुल में कहानी काफी फास्ट चलती है। लगता है कि निर्देशक कुकी गुलाटी स्कैम 1992 से अलग दिखने के दबाव में हैं। बिगबुल में हेमंत शाह के स्ट्रगल पर ज्यादा स्पेस नहीं मिला, यहां सिर्फ महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर ही फोकस किया गया। हां, बिग बुल में मसाला फिल्मों सरीखा रोचक बनाने की कोशिश काफी की गई है, जैसे फिल्म में हेंमत शाह की लव स्टोरी को दिखाया जाना, सस्पेंस के लिए हेमंत से गद्दारी करने वाले शख्स का फिल्म के आखिर में उजागर होना। पर ये सबकुछ भी स्कैम 1992 वाली रोचकता कहानी में नहीं डाल पाया है।

कैरी मिनाटी का रैप भी नहीं कर सका कमाल

फिल्म बिग बुल में रोमांटिक गानों के साथ ही कैरी मिनाटी का मशहूर रैप सॉन्ग ‘एक कहानी है जो सबको सुनानी है’रखा गया है , पर अफसोस कि ये रैप सॉन्ग भी स्कैम 1992 के म्यूजिक वाला फील नहीं दे पाया है। बात अगर स्कैम 1992 के टाइटल ट्रैक म्यूज़िक की करें तो इसकी दीवानगी फैंस के सिर चढ़कर बोली थी और आज भी ये कई लोगों के मोबाइल की पसंदीदा रिंग टोन है। कुल मिलाकर फिल्म बिग बुल में सारे हिट फॉर्मूले अपनाए गए हैं, पर उनका असर कुछ खास नहीं रहा।

अभिनय की कसौटी पर खरे उतरें जूनियर बच्चन 

अभिनय की बात करें, तो इस फिल्म में अभिषेक की एक्टिंग गुरु फिल्म की याद दिलाती है। हेमंत शाह की महत्वाकांक्षा, उसके सपने और उसका जोश अभिषेक बच्चन की आखों और हावभाव से नजर आता है। अभिषेक के अलावा सोहम शाह, इलियाना डिक्रूज, सुप्रिया पाठक भी अपने किरदार में कुछ खास कमाल नहीं कर पाए हैं। हां हेमंत की प्रेमिका और फिर पत्नी बनी, निकिता दत्ता अपने रोल के साथ न्याय करती दिखीं हैं।

कई खामियां हैं इस आधी सच्ची फिल्मी कहानी में

ख़ामियों की बात करें तो फिल्म द बिग बुल में कई सारी खामियां है, मसलन कहानी का आधार इतना मजबूत है पर उसे ठीक से पेश नहीं किया जा सका है। वहीं कहानी के डायलॉग्स बेहद सतही स्तर के हैं, इस फिल्म में ऐसा एक भी डायलॉग नहीं है, जो याद रखने लायक हो। जबकि जिस सीरीज स्कैम 1992 से इसकी तुलना की जा रही है, उसका ‘रिस्‍क है तो इश्‍क है’जैसा डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर रहता है।

क्यों देखनी चाहिए फिल्म द बिग बुल

द बिग बुल में देखने वाली बात अभिषेक बच्चन की एक्टिंग ही है, दूसरी वजह हो सकती है कि अगर आपने स्कैम 1992 अबतक नहीं देखी तो डिज्नी हॉटस्टार पर मौजूद इस फिल्म को देख हर्षद मेहता के कारनामे को जान और समझ सकते हैं। खैर बाकि आपकी मर्जी है कि फिल्म देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू THE BIG BULL REVIEW पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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