Chhatrasal review

Chhatrasal review: आशुतोष राणा की अदाकारी, नीना गुप्ता की संवादगी ने डाली ‘अनसंग वारियर’ की कहानी ‘छ्त्रसाल’ में जान

इतिहास तब और रोचक हो जाता है, जब इसे तिथि और आकड़ों से परे जाकर समझा और देखा जाए और सिनेमा यही काम करता है। इसकी बानगी ‘मुग़ल-ए-आज़म’ जैसी कल्ट फिल्म में जहां हम सब देख चुके हैं तो वहीं हाल में आई फिल्म ‘पद्मावत’ और ‘तान्हाजी’ ने भी इतिहास के प्रति दर्शकों के इसी आकर्षण को भुनाया है। और अब डिजिटल सिनेमा के इस युग में एमएक्स प्लेयर की हिस्टोरिकल ड्रामा सीरीज ‘छ्त्रसाल’ भी दर्शकों के लिए कुछ ऐसा ही कंटेट लेकर आई है। ऐसे में ये जान लेना भी जरूरी है कि बुंदेलखंड के योद्धा छ्त्रसाल के नाम पर पेश की गई ये सीरीज वास्तव में कितनी दमदार है। इसलिए हम लाए इस सीरीज का रिव्यू (Chhatrasal review)

दरअसल, ये बुंदेलखंड के उस राजा छत्रसाल की कहानी है, जिन्होनें मुगल सल्तनत के सबसे खुंखार शाषक औरंगज़ेब को पांच बार घुटनों के बल झुकने को मजूबर किया था और वो भी तब जब बाकी हिंदुस्तान के बाकी राजा औरंगज़ेब को चुनौति देने को सोच भी नहीं सकते थे। ऐसे में भारत के मध्यकालीन इतिहास के इस विषय को एमएक्स प्लेयर द्वारा सीरीज के रूप में पेश करना स्वागत योग्य है। पर यहां रिव्यू (Chhatrasal review) की बात है तो कहानी के साथ ही अभिनय और बाकी पक्षों के विश्लेषण जरूरी है। तो सबसे पहले तो आपको बता दें कि ये सीरीज आपके उम्मीद से भी लंबी हैं।

क्या है सीरीज छत्रसाल की कहानी

जी हां, अगर आप सोच रहे हैं कि अधिक से अधिक 5-6 घंटे में ये सीरीज खत्म कर सकते हैं तो बता दें कि 50-55 मिनट वाली 20 एपिसोड के रूप में ये सीरीज कम से कम आपके 18 से 20 घंटे ले सकती है। असल में, इस सीरीज में छ्त्रसाल के जन्म से लेकर उनके किशोरा और युवावस्था के घटनाक्रम काफी विस्तार से दिखाए गए हैं। जिसमें पहले एपिसोड की शुरूआत 17वीं शताब्दी के हिंदुस्तान से होती है, जहां मुग़लों के सबसे खुंखार शासक औरंगजेब की तूती बोल रही होती है। शहजादा औरंगज़ेब शहंशाह-ए-आलमगीर, बादशाह-ए-औरंगजेब बन बैठा है। औरंगज़ेब के आंतक से डरे सभी भारतीय राजा बिना लड़े ही घुटने टेकते जा रहे हैं।

Ashutosh Rana in Chhatrasal series

ऐसे में इस आंतक के साए के बीच बुंदेला रियासत के चंपत राय और उनकी पत्नी लाल कुंवरी के नवजात बच्चे की किलकारी उम्मीद जगाती है। बच्चे के जन्म के साथ कुछ शुभ संकेत मिलने लगते हैं और इसलिए मां-बाप उसका नाम रखते हैं छत्रसाल। पिता से बहादुरी तथा मां के संस्कारों के साथ बड़े हो रहे छत्रसाल के जीवन में पहली अनहोनी तब होती है, जब एक रोज मुग़ल सैनिक चंपत राय और पत्नी की ह्त्या कर देते हैं। ऐसे में 12 किशोर छत्रसाल प्रण लेते हैं कि वो अपने मां-बाप की हत्या का बदला औरंगज़ेब की गर्दन काटकर लेंगे।

Web series Chhatrasal

इसके लिए वो मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा और गुरु प्राणनाथ जी के दिखाए मार्ग पर चल महज कुछ घुड़सवारों और सैनिकों की अपनी सेना बनाते हैं और इसी के दम पर मुग़लों की विराट सेना से लोहा ले लेते हैं। आगे की कहानी आप सीरीज में ही देखें तो बेहतर होगा जहां आप छत्रसाल और औरंगज़ेब के बीच का टकराव का आनंद ले सकेंगे।

निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी ने किया निराश

अब बात निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी की कर लेते हैं.. तो कहानी चाहें कितनी भी अच्छी क्यों न हो अगर उसके फिल्मांकन में कमी है तो वो दर्शको को निराश ही करती है। इस सीरीज के निर्देशक अनादि चतुर्वेदी ने भी वही किया है। भारत के गौरवशाली अतीत के रूप में राजा छ्त्रसाल की कहानी अपने आप में काफी रोचक है, पर सीरीज के रूप में ये उतनी रोचक नहीं बन पाई है। सबसे पहले तो ये सीरीज इतनी लंबी बन पड़ी है, आधे दर्शक तो इसकी लंबाई जान ही भाग जाए, बाकि दर्शक तीन एपिसोड तक आते-आते बोर होने लगते है। दूसरा की इस हिस्टोरिकल ड्रामा सीरीज में असली काम VFX का था, पर कमजोर VFX के चलते ये सीरीज सिर्फ टीवी शो वाला ही फील दे पाती है।

कलाकारों ने दिखाया दम

Ashutosh rana web series chhatrasal

इस सीरीज की सबसे अच्छी बात इसकी स्टार कास्ट है। खासतौर पर औरंगज़ेब के रूप में आशुतोष राणा की अदायगी देखना उनके फैंस के लिए अपने आप में ट्रीट है। ख़लनायिकी से हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाने वाले आशुतोष राणा औरंगज़ेब की भूमिका में काफी जंचे हैं। भाव-भंगिमा से लेकर संवादगी और शारीरिक डीलडौल सब कुछ बिलकुल परफेक्ट लगा है। वहीं राजा छत्रसाल के किरदार में जितिन गुलाटी ने भी अपनी भूमिका अच्छी निभाई है।

neena gupta in Chhatrsal web series

इनके अलावा नीना गुप्ता सीरीज की सूत्रधार के रूप में काफी आकर्षक लगती हैं। नीना जब जब स्क्रीन पर रॉयल साड़ियों में नजर आती है, कम से कम उनकी उपस्थिति से इस सीरीज में हिस्टोरिकल ड्रामा वाली फील तो आ ही जाती है।

क्या हैं ख़ामियां

रिव्यू (Chhatrasal review) की बात है तो ख़ामिया का जिक्र आना तो लाज़मी है। तो देखा जाए तो ये सीरीज तकनीकि रूप से कमजोर पड़ती है, चाहें वो वीएफएक्स की बात कर लें, या मेकअप की… इसमें बनावटी झलक पड़ती है। जबकि अच्छे तकनीकि का सहारा लेकर इसे भव्य बनाया जा सकता था।

क्यों देखनी चाहिए

अब बात करें छत्रसाल सीरीज क्यों देखनी चाहिए तो इसकी पहली वजह तो इसका कंटेट हैं, जो आपको भारत के गौरवशाली इतिहास से परिचय कराता है। इसके अलावा आशुतोष राणा की अदाकारी और सूत्रधार के रूप में नीना गुप्ता की उपस्थिति भी इस सीरीज को देखने लायक बनाने में कामयाब रही है।

खैर बाकि आपकी मर्जी है कि सीरीज ‘छ्त्रसाल’ देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू (Chhatrasal review) पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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