City Of Dreams 2 review

City of Dreams 2 Review: राजनीतिक साजिशों और अतीत की काली स्याही से लिखी है ‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2’, पढ़ें रिव्यू

‘कुछ सच इतने बड़े होते हैं कि सिस्टम भी उन्हें अफोर्ड नहीं कर पाता’ ये लाइन है HotStar की पॉलिटिकल ड्रामा सीरीज ‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2’ की… और इस संवाद की तरह ये सीरीज भी राजनीति के कड़वे सच को लेकर बयां करती है। इस सीरीज के पहले सीजन ने जहां काफी सुर्खियां बटोरी थीं, वहीं दूसरे सीजन को लेकर भी काफी बज़ बना हुआ है। फैंस जान लेना चाहते हैं कि आखिर ये सीजन कितना रोमांचक है। तो चलिए आप जान लीजिए और पढ़िए हमारा ये रिव्यू (City of Dreams 2 Review)…

City of dreams

सबसे पहले सीरीज की कहानी की बात कर लेते हैं तो पहले सीजन में जहां राजनीतिक उत्तराधिकार के लिए एक बहन और भाई के संघर्ष को दिखाया गया था, वहीं इस सीजन में सत्ता की लड़ाई बेटी और पिता के बीच है। जहां पूर्णिमा गायकवाड़ (प्रिया बापट) के उपर राजनीति का रंग चढ़ चुका है, अपने भाई आशीष राव गायकवाड़ को मार सीएम की कुर्सी पर बैठी पूर्णिमा के सामने कई चुनौतियां हैं। उसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए बाहरी विरोधियों के साथ ही अपने पिता का भी सामना करना है।

सत्ता के लिए फिर चढ़ी रिश्तों की बली

योग्य होने के बावजूद पूर्णिमा को राजनीति में आने का मौका न देने वाला उसका पिता अमेय राव गायकवाड़ (अतुल कुलकर्णी) अब उसे अपना दुश्मन मान बैठा है। अमेय राव गायकवाड़, पूर्णिमा से बेटे की मौत का बदला और खोई हुई सत्ता दोनो लेना चाहता है। ऐसे में वो उसके पुराने प्रेमी महेश अरवले को ही उसके विरोध में खड़ा कर देता है। व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे अमेय राव गायकवाड़, अपनी बेटी पूर्णिमा के लिए पूरा चक्रव्यूह रच देता है, यहां तक अपनी इस साजिश में वो अपने नाती यानी पूर्णिमा के बेटे का भी इस्तेमाल करता है।

atul kulkarni in City of Dreams 2

वहीं पूर्णिमा के निजी जीवन का सच भी उसके लिए मुसीबतें लिए हैं। ऐसे में पूर्णिमा क्या इन मुसीबतों से पार पाएगी या राजनीति का पुराना धुरंधर खिलाड़ी अमेय राव गायकवाड़ इस बार बाजी मार ले जाएगा। यही इस सीरीज का असली रोमांच है, जिसे पूरा जानने के लिए आपको ‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2’ सीरीज Disney plus hotstar पर देखनी होगी। फिलहाल रिव्यू (City of Dreams 2 Review) की बात है तो हम निर्देशन और अभिनय जैसे बाकी पक्षों पर बात कर लेते हैं।

डोर, इकबाल और धनक जैसी फिल्मों के लिए जाने जाने वाले फिल्ममेकर नागेश कुकुनूर ने ओटीटी की दुनिया के मिजाज के हिसाब इस सीरीज को रचा है। जिसमें वो सब कुछ है, जिसे ज्यादातर ओटीटी दर्शक देखना पसंद करते हैं, और इस कोशिश में ‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2’ राजनीति और अपराध की दुनिया के बीच का फर्क ही मिटा देती है। सीरीज में एक बाद एक ऐसे दृश्य और खुलासे होते दिखते हैं, जिन्हें देख कई बार अति महूसस होने लगती है। कुल मिलाकर नागेश कुकुनूर ने कल्पना के जरिए राजनीति की स्याह दुनिया की सच दिखाने की कोशिश की है।

 कलाकारों ने जमाया रंग

‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स’ सीरीज की लोकप्रियता की असली वजह इसमें कलाकारों की अदाकारी रही है। पहले सीजन में अतुल कुलकर्णी, प्रिया बापट, एजाज खान और सचिन पिलगांवकर ने अपने-अपने किरदार से जो रंग जमाया था, वो रंग दूसरे सीजन में और भी गहरा होता दिखा है। इनके अलावा इस सीजन में अगर कोई किरदार ध्यान खींचता है, वो तान्या का, जिसमें श्रियम भगनानी काफी जंचती है।

क्या हैं ख़ामियां

‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2’ की ख़ामियों की बात करें इस सीरीज में पहले सीजन के तरह ही इसमें भी आपत्तिजनक दृश्यों की भरमार है, ऐसे में इसे आप फैमिली के साथ भूले से भी नहीं देख सकते हैं।

क्यों देखनी चाहिए

वहीं अगर बात करें कि ‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2’ क्यों देखनी चाहिए तो वेब सीरीज देखना पसंद करने वालों के लिए ये सीरीज इस वीकेंड के लिए बेहद रोमांचक हो सकती है। बाप-बेटी के बीच सत्ता की जंग इतनी रोचक है कि एपिसोड दर एपिसोड इसमें रोमांच बना रहता है।

खैर बाकि आपकी मर्जी है कि सीरीज ‘सिटी ऑफ़ ड्रीम्स 2’ देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू (City of Dreams 2 Review) पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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