Sardar Ka Grandson Review

Sardar Ka Grandson Review: लाहौर से घर नहीं, देसी सिनेमा लेकर आई है ‘सरदार का ग्रैंडसन’

फिल्म ‘गदर’ में सनी देओल अपनी महबूबा को लाने पाकिस्तान पहुचें थें, वहीं 20 साल बाद अब अर्जुन कपूर पाकिस्तान पहुंचे हैं और वो भी अपनी दादी के लिए पूरा का पूरा एक घर उखाड़ कर लाने। जी हां, हम बात कर रहे हैं नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई अर्जुन कपूर और रकुल प्रीत स्टारर फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ की। फिल्म की कहानी तो इसकी ट्रेलर रिलीज के साथ ही सुर्खियों में थी, माना जा रहा था कि ये मनोरंजक पारिवारिक फिल्म हो सकती है। वैसे फिल्म देखने के बाद हमारा भी यही मानना है कि ‘सरदार का ग्रैंडसन’ सालों बाद आई एक बेहतरीन पारिवारिक फिल्म है, जिसका रिव्यू (Sardar Ka Grandson Review) हम आपके लिए लेकर आए हैं…

Sardar Ka Grandson

युवा निर्देशिका काशवी नायर की फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ की कहानी तो बिलकुल नई है पर इमोशन, प्यार और कॉमेडी से भरपूर ये फिल्म शुद्ध भारतीय सिनेमा की बानगी पेश करती है। फिल्म‘सरदार का ग्रैंडसन’ की कहानी की बात करें तो इसका केंद्र 90 वर्षीय सरदार कौर (नीना गप्ता) है, जिसे जीवन के अंतिम छणों में सिर्फ लाहौर के अपने पुश्तैनी घर की यादें सताती है। वो घर जिसे सरदार ने अपने पति के साथ मिलकर बनाया और संवारा, पर दंगों में पति के कत्ल के बाद सरदार को वो घर छोड़कर भागना पड़ा। 70 साल पहले सरदार अपने दुधमुंहे बच्चे के साथ एक साइकिल पर सवार होकर लाहौर से अमृतसर भागकर आ जाती है।

पारिवारिक कहानी में भारत-पाकिस्तान का एंगल 

सरदार, अमृतसर आकर यहां चैम्पियन नाम की साइकिल कंपनी की नींव डालती है और वो कंपनी आज इतनी बड़ी कंपनी हो चुकी है, जिसका एक छोटा सा हिस्सा भी किसी को मालामाल कर सकता है। दो बेटों-बहुओं के परिवार में सरदार के पास कई करीबी हैं, पर उसका अजीज है पोता अमरीक (अर्जुन कपूर)। वहीं जीवन के आखिरी घड़ी में उसकी एक ही ख्वाहिश रह गई है कि वो मरने से पहले अपना लाहौर वाला घर देख लें। कुछ कारण वश खुद लाहौर नहीं जा सकती है। ऐसे में उसका पोता अमरीक अपनी दादी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए लाहौर स्थित उनका पुराना घर अमृतसर लाने का निर्णय लेता है।

Sardar ka grandson film

अमरीक की भी अपनी लव स्टोरी है, विदेश में रहते हुए वो अपनी गर्लफ्रेंड राधा (रकुल प्रीत ) की पैकर्स व मूवर्स कंपनी में काम करता है, पर अमरीक की लापरवाहियों के चलते दोनो का ब्रेकअप हो जाता है। अपना दिल टूटने के बाद अमरीक दादी के इमोशन को समझता है और उनकी अधूरी इच्छा पूरी करने के लिए जी जान लगा देता है। कहानी यहां से नया मोड़ लेती है जिसमें भारत-पाकिस्तान के संवेदनशील रिश्तें की कशमकश और सामाजिक-राजनीतिक परिवेश के साथ रोचक घटनाक्रम देखने को मिलते है।

अब क्या अमरीक अपनी दादी के जीते जी उनकी अंतिम इच्छा पूरी कर पाएगा, दादी आखिर क्यों पाकिस्तान नहीं जा सकती हैं.. ये सब बातें तो इस फिल्म का अहम और रोचक हिस्सा हैं, इसलिए हम यहां उसका खुलासा नहीं करेंगे। हमारा मकसद आपको इस फिल्म का रिव्यू (Sardar Ka Grandson Review) देना है तो अब बात कर लेते हैं अभिनय, निर्देशन और बाकी पक्षों की।

नए निर्देशक ने देसी सिनेमा को दिया अलग आयाम

बात करें निर्देशन की तो टी सीरीज जैसे बड़े बैनर ने काशवी नायर की रचनात्मकता पर भरोसा किया है और काशवी भी काफी हद तक सफल साबित होती दिख रही हैं। अनुजा चौहान और अमितोष नागपाल के साथ मिलकर काशवी ने कहानी को अच्छा गढ़ा है। असल में, खास मकसद से भारत से पाकिस्तान जाने की रोचक कहानी पहले भी गदर और बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों में को देखा जा चुका है, जहां दर्शकों को ड्रामा और इमोशन का सुपर डोज़ मिला है। वहीं नई पीढ़ी के दर्शकों के मिजाज को समझते हुए ‘सरदार का ग्रैंडसन’ के मेकर्स इमोशनल ड्रामा और कॉमेडी के बीच सही तालमेल बिठाते हुए फिल्म को मनोरंजन बनाने में सफल रहे हैं।

अभिनय की कसौटी पर खरे उतरें कलाकार

‘सरदार का ग्रैंडसन’ की यूनिक कहानी को सिनेमाई अक्स में उतारने में निर्देशक को कलाकारों का पूरा सहयोग मिला है। 90 वर्षीय बुजुर्ग सरदार कौर के रूप में दिखने के लिए नीना गुप्ता को प्रोस्थेटिक मेकअप का सहारा लेना पड़ा है, पर इस बनावटीपन पर नीना का वास्तिवक अभिनय कहीं भारी पड़ता है। वहीं युवा सरदार कौर के रूप में अदिति राव हैदरी भी दिल जीत लेती हैं। सरदार के अलावा इस फिल्म का सबसे अहम किरदार है अमरीक, जिसकी भूमिका अर्जुन कपूर ठीक-ठाक निभा ले गए हैं, तो रकूल प्रीत भी राधा के किरदार में जंची हैं।

फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ की क्या है ख़ामियां

बात अगर फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ की ख़ामियों की करें तो ओटीटी के हिसाब ये फिल्म थोड़ी बड़ी लगती है। असल में, फिल्म की कहानी सेट करने के चक्कर में फिल्म थोड़ी खींच सी गई है, जोकि देखने अखर सकती है। इसमें कसावट और छोड़ी पेंचींदगी कि जरूरत महसूस होती है, जो इसे और रोचक बना सकती थी।

क्यों देखनी चाहिए फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ 

वहीं बात करें कि फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ क्यों देखनी चाहिए तो अगर आपको देसी सिनेमा पसंद हैं तो ये फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए। क्योंकि इमोशन, प्यार और कॉमेडी से भरपूर ‘सरदार का ग्रैंडसन’ एक शुद्ध पारिवारिक फिल्म है।

खैर बाकि आपकी मर्जी है कि फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू (Sardar Ka Grandson Review) पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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