Manoj Bajpayee Silence movie review

Silence movie review: मौत भी एक मनोरंजन है… क्या कहती है मनोज बाजपेयी की फिल्म

‘मौत भी एक मनोरंजन है’ सुनने में भले ही कुछ अटपटा सा लगे, लेकिन मनोज बाजपेयी की हालिया रिलीज फिल्म साइलेंस- कैन यू हियर इट का ये अहम डायलॉग है। हालांकि ये डायलॉग आपको फिल्म देखने के बाद समझ आएगा, कैसे एक कत्ल यानी मौत की कहानी को फिल्म का रूप देने के लिए राइटर और डायरेक्टर एक मत हुए होंगे। फिलहाल इस आर्टिकल में हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि फिल्म साइलेंस के मेकर्स एक मौत की कहानी के जरिये कितना मनोरंजन परोस पाये हैं। जी हां, हम आपके लिए लेकर आए हैं जी5 पर स्ट्रीम हो रही मनोज बाजपेयी की फिल्म साइलेंस का रिव्यू Silence movie review ।

मर्डर मिस्ट्री के साथ मनोरंजन की पेशकश

सबसे पहले इस फिल्म की कहानी को समझते हैं तो कहानी कुछ यूं है कि कविता और पूजा अच्छी दोस्त है। पूजा एक रोज कविता से मिलने आती है, पर कविता किसी काम से पूणे गई होती है। ऐसे में पूजा उसके घर में ही रूक जाती है, पर अगले दिन पूजा का कत्ल हो जाता है और उसकी लाश ट्रेैकिंग साइट पर मिलती है। इधर कविता भी संदिग्ध हालात में कोमा में अस्पताल में पड़ी है।

Silence movie poster

ऐसे में पूजा का कत्ल किसने किया और उसकी लाश ट्रेकिंग साइट पर कैसे पहुंची इसकी जांच के लिए मुंबई पुलिस के एसीपी अविनाश वर्मा (मनोज बाजपेयी) उनकी टीम को लगा दिया जाता है। दरअसल, अविनाश को ये जांच, पूजा के रिटायर जज पिता  के कहने पर दिया जाता है, क्योंकि उनका मानना है कि अविनाश अपने केस को उतनी ही बेसब्री से अंजाम देता है, जितनी बेसब्री से वो अपनी बेटी के कातिल को ढूंढ रहे हैं।

सनक मिजाज वाला एसीपी अविनाश इसी बेसब्री के साथ केस की जांच में लग जाता है, जिसमें उसकी शक की सुई बार बार जा अटकती है कविता के विधायक पति रवि खन्ना पर। छानबीन में रवि खन्ना के घरेलू नौकर दादू, पूजा के माता-पिता, उनके घर में रहने वाला उनके दोस्त का बेटा ऋषभ और उसकी मंगेतर के साथ ही रवि खन्ना की कोमा में पड़ी पत्नी कविता से भी पूछताछ चलती है। इस दौरान एक गैंगवार भी होता है, जिसके बाद एसीपी से जांच वापस लेने तक की नौबत आ जाती है।

Silence movie scene

ऐसे में कैसे एसीपी अविनाश पूजा के कातिल तक पहुंचता है, क्या उसका शक सही साबित होता है, या फिर कातिल किसी मासूम चेहरे के पीछे छुपा है.. इन सबके साथ कहानी सस्पेंस और मनोरंजन डालने की कोशिश की गई है। इस तरह से देखा जाए तो साइलेंस की कहानी में कुछ खास नयापन नहीं हैं, ये काफी हद तक देखी सुनी सी लगती है।

यहां तक कि सस्पेंस थ्रिलर के नाम पर परोसी गई इस फिल्म में भी सुराग के रूप में ब्रेसलेट का स्टोन मिलता है। यानि कि अभी भी बॉलीवुड में शर्ट के बटन और ब्रेसलेट के सहारे कातिल ढूंढे जा रहे हैं। खैर हम कहानी का सस्पेंस और अधिक खत्म नहीं करेंगे, हमारी कोशिश है इस फिल्म का ईमानदार रिव्यू (Silence movie review) देने की तो हम बात कर लेते हैं अभिनय और निर्देशन जैसे इसके दूसरे पहलुओं पर।

मनोज बाजपेयी का अभिनय बोलता है इस साइलेंस में

गौरतलब है कि हाल ही में मनोज बाजपेयी को फिल्म भोसले के लिए 67वें नेशनल फिल्म अवार्ड में बेस्ट एक्टर का खिताब हासिल किया है और साइलेंस में भी उन्होनें इसी अदाकारी का लोहा मनवाया है। स्क्रीन पर मनोज की मौजूदगी आपको दूसरे किरदारों को देखने का मौका नहीं देती। आप उनकी आंखों और हावभाव में ही डूब कर रह जाएंगे।

Manoj Bajpayee in Film Silence

मनोज के अलावा फिल्म में उनकी टीम में शामिल तीन अहम किरदारों के रूप में प्राची देसाई, साहिल वैद और वकार शेख भी ध्यान खींचते हैं। इनके अलावा पूजा के किरदार में बरखा सिंह भी जंचती हैं।

नए निर्देशक ने परोसी पुरानी कहानी

अबन भरूचा देवहंस की ये पहली फीचर फिल्म है, इससे पहले वो 2015 शॉर्ट फिल्म टीस्पून से काफी सर्खियां बटोर चुकी हैं। ऐसे में उनकी इस फिल्म से बेहतर और कुछ अलग की उम्मीद थी, पर अफसोस अबन भरूचा देवहंस ने कुछ नया पेश करने की बजाए एक पुरानी सी कहानी को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 की नई थाली में परोस दिया है। यहां उन्होनें अच्छा सिर्फ इतना किया है कि कहानी में मसाला फिल्मों की तरह बेवजह की भाग-दौड़, धमाकेदार बैकग्राउंड म्यूजिक और उत्तेजक दृश्य नहीं डाले हैं। इससे कहानी छोड़ी सधी सी लगती है।

क्या हैं फिल्म की ख़ामियां

फिल्म की खामियों की बात करें तो सबसे बड़ी ख़ामी तो यही है कि सस्पेंस थ्रिलर के नाम पर परोसी गई इसकी कहानी में कुछ भी नया नहीं है। 2 घंटे से भी अधिक लंबी ये फिल्म आपको शुरू से लेकर अंत तक घूमाती रहती है, पहले जान बूझकर किसी की तरफ शक की सुई धुमा दी जाती है, फिर वो बीच-बीच में इधर-उधर धूमती रहती है। लेकिन आखिर में वो शख्स कातिल निकलता है, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था।

film Silence

क्यों देखनी चाहिए फिल्म साइलेंस

अगर पूछा जाए कि फिल्म साइलेंस क्यों देखनी चाहिए तो जवाब है मनोज बाजपेयी की दमदार अदाकारी के लिए। बड़े पर्दे पर राज करने के बाद बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी अब ओटीटी पर भी छाए हुए हैं। अमेजन प्राइम वीडियो की सुपरहिट वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन’, नेटफिलिक्स फिल्म ‘मिसेज सीरियल किलर’ और सोनी लिव की फिल्म ‘भोंसले’ के बाद फिल्म ‘साइलेंस’ में भी उनकी जबरदस्त अदाकारी देखने को मिलती है। इसलिए मनोज बाजपेयी के फैंस के लिए तो ये फिल्म देखनी बनती है।

खैर बाकि आपकी मर्जी है कि फिल्म देखनी है या नहीं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये रिव्यू Silence movie review पढ़ कर आपके चुनाव का काम कुछ हद तक आसान हो गया होगा।

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