Shershaah review

Shershaah review: कारगिल के शौर्य की श्रेष्ठ कहानी है ‘शेरशाह’, छा गए सिद्धार्थ मल्होत्रा

फौजी जब जंग पर जाता है, तो तिरंगा फहराकर आता है, या फिर तिरंगा में लिपटकर… कुछ ऐसे ही शानदार संवादों से भरी फिल्म शेरशाह (Shershaah) अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुकी है। फिल्म की कहानी करगिल युद्ध के हीरो लेफ्टिनेंट विक्रम बत्रा पर आधारित है, साथ ही ये फिल्म उन सभी शहीदों के लिए एक श्रद्धांजलि भी है, जिन्होंने देश के लिए करगिल युद्ध में अपनी शहादत दी थी। सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) की इस फिल्म को लेकर लोगों में बेहद उत्सुकता थी, इसीलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं इसका रिव्यू (Shershaah review)…

‘शेरशाह’ की कहानी

15 अगस्त के ठीक पहले आई करगिल युद्ध पर बनी फिल्म ‘शेरशाह’ युद्ध के नायक रहे विक्रम बत्रा की कहानी है। जिसमें लव स्टोरी, युद्ध इमोशन सबकुछ है। फिल्म करगिल युद्ध से शुरू होती है, और युद्ध पर ही खत्म। इसके बीच में कहानी फ्लैश बैक में जाती है, जिसमें विक्रम बत्रा के बचपन से लेकर युवावस्था के इंडियन आर्मी के प्रति जुनून दिखता है। दरअसल, चंडीगढ़ का रहने वाला विक्रम बत्रा (सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक पैशनेट युवा है, जो फौज में जाना चाहता है। कॉलेज में उसका दिल डिंपल चीमा (कियारा अडवाणी) से लग जाता है। डिंपल के पापा नहीं मानते। इसी बीच डिंपल के लिए वो मर्चेंट नेवी में जाने के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन बाद में विक्रम अपने दिल की सुनते हैं और लेफ्टिनेंट बनकर इंडियन आर्मी ज्वाइन करते हैं।

Shershaah

विक्रम बत्रा को पहली पोस्टिंग ही कश्मीर की उन घाटियों में मिलती है, जहां सीमा पार से आंतक पैर पसार रहा होता है। ऐसे में कैप्टन विक्रम बत्रा अपनी फौज के साथ घाटी में आतंक का खात्मा करने मे लग जाते हैं। इसी बीच पाकिस्तान सर्दियों के मौसम का फायदा उठा भारतीय सीमा पर घुसकर ऊंची पहाड़ियों पर पोस्ट बनाकर कब्जा कर लेता है। यहीं से करगिल युद्ध की शुरूआत हो जाती है। छुट्टी पर आए विक्रम को जब युद्ध की आहट के बारे में पता चलता है, तो वो छुट्टी जल्दी खत्म करके वापस लौट जाते हैं।

कारगिल में उसकी बटालियल रिजर्व फोर्स के तौर पर रखी जाती है। फ्रंट पर गई एक टुकड़ी जब मोर्चे पर कामयाब नहीं हो पाती तो विक्रम बत्रा की टीम को चोटी फतेह करने के लिए भेजा जाता है। जहां दुश्मन से लड़ते हुए चोटी पर फतेह मिलती है, लेकिन विक्रम बत्रा शहीद हो जाते हैं। कुल मिलाकर ये वो कहानी हैं जिसे हम भारतीय बेहद फक्र से बीते-बीते दो दशकों से सुनते -सुनाते आ रहे हैं। अब इसी कहानी को फिल्म शेरशाह के रूप में सिने प्रेमियों के सामने पेश किया गया है।

निर्देशन और फिल्मांकन

अब चूंकि फिल्म रिव्यू (Shershaah review) की बात है तो निर्देशन, फिल्मांकन और अभिनय पक्ष की बात भी कर लेते हैं। तो यहां अच्छी बात ये रही है कि ‘शेरशाह’ की रियल स्टोरी को डायरेक्टर विष्णुवर्धन ने ड्रामेटिक बनाने की कहीं भी कोशिश नहीं की। बर्फीली पहाड़ियों पर शूट हुई फिल्म में करगिल युद्ध के जवानों के जज्बे को बखूबी दर्शाने की कोशिश की है। शेरशाह में विक्रम बत्रा की लव स्टोरी भी है, जिसे काफी अथेंटिक ही रखा गया है। बेवजह का कोई भी गाना और खींचने की कोशिश नहीं की गई। फिल्म की रोचकता बनी रहे इसके लिए करगिल और कश्मीर के हालात पर ही फोकस रखा है।

film Shershaah

सिद्धार्थ, कियारा की एक्टिंग

विक्रम बत्रा बने सिद्धार्थ मल्होत्रा को मौजूदा दौर में जैसी फिल्म चाहिए थी वो मिली। जिसके साथ उन्होंने पूरा न्याय किया। विक्रम बत्रा बने सिद्धार्थ ने फौजी के किरदार को बखूबी निभाया है। वहीं डिंपल चीमा के किरदार में कियारा आडवाणी (Kiara Advani) भी जंची हैं। कियारा ने 90 के दौर की आधुनिक विचारों वाली लड़की का किरदार बेहतर निभाया है।

क्यों देखनी चाहिए

विक्रम बत्रा के शौर्य के बारे में सभी को पता है, लेकिन अब फिल्म आई है, तो उसे देखना तो बनता है। जो विक्रम बत्रा के साथ करगिल युद्ध की यादें ताजा कर देगी।

क्या है ख़ामियां

बात फिल्म रिव्यू (Shershaah review) की है तो में ख़ामियों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है, पर देखा जाए तो फिल्म शेरशाह एक शहीद को दी गई श्रद्धांजलि है, जिससे सिनेमाई ख़ामियों से ऊपर उठकर ही देखा जाए तो बेहतर है।

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